रंगनायक द लेफ्ट थिएटर जसम द्वारा 12-14 फरवरी को हुआ यह आयोजन, हर रोज कविता पाठ और जन गीतों का गायन भी हुआ
रंगनायक द लेफ्ट थिएटर जसम ने बेगूसराय के दिनकर कला भवन के मुख्य द्वार पर 12 , 13 और 14 फरवरी को तीन दिवसीय नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल का आयोजन किया. यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है और यह आयोजन का पांचवां वर्ष था. इस बार नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल का केन्द्रीय विषय ‘ चुप्पी के ख़िलाफ़ ‘ था और आयोजन को मुक्तिबोध, त्रिलोचन व फैज़ अहमद फैज़ को समर्पित किया गया था. आयोजन में प्रत्येक दिन दो नाटकों के मंचन के अलावा काव्य पाठ, जनगीत भ हुआ, आयोजन के दूसरे दिन नाटक पर गोष्ठी भी हुई.
नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल का उद्घाटन जी.डी. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य बोधन प्रसाद सिंह ने 12 फरवरी की दोपहर डफ़ बजाकर किया. इसके बाद शशि सरोजिनी रंगमंच सेवा संस्थान, सहरसा द्वारा श्रीकांत लिखित एवं कुंदन वर्मा द्वारा निर्देशित नाटक ‘कुत्ते ’का मंचन किया गया. नाटक के माध्यम से वर्तमान सत्ता व्यवस्था और प्रशासनिक कुव्यवस्था पर करारा प्रहार किया गया।
नाटक के कलाकार रोहित झा, सपन कुमार, राहुल कुमार मधुलिका, अभिषेक, चेतन, निवास एवं धीरज ने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया. हारमोनियम पर पुलींदर शर्मा एवं तबला वादक प्रोफेसर सज्जन कु. रंजन के संगीत संयोजन ने नाटक की गति को बनाए रखा।
दूसरी प्रस्तुति रंग संस्था नवांकुर, आरा की राजू कुमार रंजन द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक ‘ कलर्स ’ थी. इस नाटक में शिक्षा का बाज़ारीकरण के प्रभाव, साहित्यकारों ,पत्रकारों , बुद्धिजीवियों व संस्कृतिकर्मियों पर हमले, बेरोजगारी के मुद्दे को उठता है और भगवा सत्ता के चरित्र का पर्दाफाश करता है. नाटक में अमृत सिंह निव्राण, अंकित कुमार, आलोक रंजन, अमित मेहता, अतुल, अमन शुक्ला एवं शुभम दुब ने अपनी जीवंत भूमिका से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नाटक के निर्देशक राजू रंजन को वरिष्ठ बुद्धिजीवी भगवान प्र. सिन्हा ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
नाट्य प्रदर्शन के पूर्व राजू कुमार रंजन ने जनगीत गाये तो जनकवि शेखर सावंत ने काव्य-पाठ किया. वरिष्ठ रंगनिर्देशक व फ़िल्मकार अनिल पतंग ने अतिथि कलाकारों व रंगकर्मियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया. प्रसिद्ध रंग निर्देशक अवधेश सिन्हा ने निर्देशक कुंदन वर्मा को मोमेंटो भेंट किया. कार्यक्रम का संचालन सचिन कुमार ने किया. इस मौके पर रंगकर्मी अमरेश कुमार, मोहित मोहन, मनोज, जद्दू राणा, सोनू , कन्हैया, राहुल, यथार्थ, विजय कुमर सिन्हा परवेज यूसुफ, अरविन्द सिन्हा, नवीन, भाकपा माले के जिला सचिव दिवाकर, आइसा के महासचिव वतन कुमार आदि उपस्थित थे.
दूसरा दिन
5वें नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल के दूसरे दिन दोपहर में दिनकर कला भवन परिसर में “ नाटक, नाटककार एवं रंगदर्शक “ विषय पर विचार गोष्ठी हुई. विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता नाटककार राजेश कुमार ने कहा कि नुक्कड़ नाटक करने वालों को अब असली पहचान बनाना बहुत जरूरी है। आज का दौर संक्रमण का दौर है और हमें नई धारा एवं नई तकनीक से परहेज करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने नाटक के इतिहास की विस्तार से चर्चा की और कहा कि यह कहना गलत है कि नए नाटक लिखे नहीं जा रहे हैं. छोटे शहरों और कस्बों के रंगकर्मी न सिर्फ नाटक लिख रहे हैं बल्कि मंचन भी कर रहे हैं.
दरभंगा के युवा रंग निर्देशक सागर सिंह ने कहा कि हमें दर्शकों को नाटक से जोड़ने की जरूरत है. सीमित दर्शक वर्ग से उठ कर आम दर्शक तक पहुंचना ही हमारी कला है। इप्टा के आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जिले के प्रख्यात रंग निर्देशक अवधेश सिन्हा ने कहा कि नुक्कड़ नाटक न केवल जनता को जागरुक करते हैं बल्कि अभिनेता निर्माण का फैक्ट्री भी है। अभी का दौर बहुत ही खतरनाक दौर है. सरकारी अनुदान हम रंगकर्मियों के संगठन को भंग कर रहा है.
जसम के राष्ट्रीय महासचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि आज के दौर को समझना बहुत जरूरी है. साम्प्रदायिक-फासीवादी ताकतें जन प्रतिबद्ध साहित्यकारों, लेखकों, पत्रकारों पर लगातार हमले कर रही हैं. बोलने की आज़ादी खतरे में हैं. लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है. नाटकों, फिल्मों और पुस्तकों को पढने-देखने पर रोक लगायी जा रही है. सत्ता पोषित कुछ समूह संस्कृति के ठेकेदार बन लोगों के खान-पान, पहनावे तक को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके खिलाफ लेखकों और संस्कृति कर्मियों के प्रतिरोध की चर्चा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि नाटक जनता से जड़ने का आज भी सबसे सशक्त माध्यम है. हमें इस विधा के जरिये जनता को व्यवस्था का सच बताना होगा.
विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे भागलपुर के दिवाकर जी, फिल्मकार अनिल पतंग व संचालक चर्चित रंगकर्मी एवं पत्रकार विजय कुमार ने कहा कि अब हम सब सीमित दायरे में सिमटते जा रहे हैं। रंगमंच सच में आम जनता का ही होना चाहिए इसके लिए नुक्कड़ एक सशक्त माध्यम है.
फेस्टिवल के दुसरे दिन की पहली प्रस्तुति ‘ मन की बात ’ थी जिसे कोरस (पटना) ने प्रस्तुत किया. समता राय ने नाटक का निर्देशन किया. नाटक में समता राय और मात्तसी शरण ने अभिनय किया है. नाटक के दोनों पात्र सीता, द्रोपदी से लेकर आज की महिलाओं की मन की बात करते हुए पितृसत्ता पर गहरा चोट करती हैं.
दूसरी नाट्य प्रस्तुति द स्पॉट लाइट थिएटर, दरभंगा की ‘ छह पैसे का रुपैया ’ थी. इस नाटक में भारत की राजनीती और अर्थव्यवस्था पर अमरीका और विश्व बैंक के बढे नियन्त्रण को दिखाया गया है. नाटक के सागर सिंह अवधेश भारद्वाज, प्रत्युष , अंकुष, प्रशांत राणा, उज्जवल राज ने जीवंत अभिनय से श्रोताओं पर छाप छोड़ी.
नाट्य प्रदर्शन का प्रारंभ नाटककार राजेश कुमार और मनोज कुमार सिंह ने के डफ़ बजाकर किया ।
इस मौके पर जन कवि मुकुल लाल ने काव्य पाठ किया. जनगायक कृष्ण कुमार निर्मोही , राजू रंजन और उनके साथियों ने जन गीत गाये.
इस मौके पर रंग निर्देशक गणेश गौरव, अभिनेत्री अंकिता सिन्हा, परवेज यूसुफ, गुंजेश गुंजन, संजीव फिरोज, रौशन कुमार आदि उपस्थित थे।
तीसरा दिन
पांचवें नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल के तीसरे और आख़िरी दिन ज़िले के कवियों द्वारा काव्य पाठ, जनगीत एवं दो नुक्कड़ नाटक का सफल और शानदार मंचन किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन कॉमरेड नूर आलम ने डफ़ बजा कर किया।
इस अवसर पर चर्चित कवि आनंद रमण ने अपनी दो कविताओं- ‘ मेरे दिन को राख बनाने वालों तेरी खुशियों का आलम खुद जल जाएगा ‘ और ‘ शोषण पर खड़ी मशीन शोषित है हरी जमीन ’ का पाठ किया. कवि अशांत भोला ने लघु कविताएं –‘ नींद बेची है चैन बेचा है सब सुखों को हमने बेच दिया, ना लहू बेचा ना हया बेची खुशियों का चमन बेच दिया ’ , ‘ पैरों में बिवाई हाथों में छाले हैं रोटी को मोहताज छिने निवाले हैं ‘ तथा ‘ रोज होती है नफा-नुकसान की बातें, तो कहां है आजकल ईमान की बातें ’ सुनाई.
कवि आनंद रमण को एस. एन.आजाद व अशांत भोला को शेखर सावंत ने रंग नायक का मोमेंटो भेंट किया.
तीसरे दिन की पहली प्रस्तुति आयोजक रंग नायक द लेफ्ट थिएटर, जसम, बेगूसराय का नाटक ‘ तुम कब जाओगे ’ था. नाटक का निर्देशन जसम के राज्य उपाध्यक्ष व रंग निर्देशक दीपक सिन्हा ने किया है. नाटक में जद्दू राणा, धनराज, राहुल, राहुल रॉक, यथार्थ और मनोज कुमार ने भूमिका निभाई.
इसके बाद अभिनव थिएटर ग्रुप, लखीमपुर ( असोम ) ने दयाल कृष्णनाथ निर्देशित ‘ कोलाज ऑफ लाइफ ’ की बेहतरीन प्रस्तुति की. नाटक में वर्तमान समाज में संस्कृति, राजनीति व भाईचारे के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार व समाज विरोधी कार्य कलाप को बॉडी मूवमेंट, मुखौटा व असम के बिहू व सत्रिय शैली के प्रयोग से किया गया था. नाटक में असम के लोक गीत, बरगीत के साथ-साथ ढोल-खोल का बेहतरीन प्रयोग किया गया है। इसमें दहेज , राजनीतिक शोषण, धर्म के नाम पर शोषण आदि विषय पर छोटा-छोटा चित्र नाटक में दिखाया गया.
कलाकार तीर्थ रंजन गोगोई, प्रवीण हाजोंग, विजिट गोगोई, सविता हजोंग, प्रणव महोंतो, अनामिका राजबंशी और दयाल कृष्ण नाथ ने अपने अभिनय से रंग दर्शकों में अमिट छाप छोड़ी।
असम के युवा रंग निर्देशक दयाल कृष्णनाथ को सामाजिक कार्यकर्ता सुमन ने मोमेंटो व अंगवस्त्र से सम्मानित किया।
नाट्य प्रदर्शन के पूर्व ननकू पासवान, देवेंद्र कुमार, आरा के युवा रंगकर्मी राजू रंजन व रंग नायक के रंकर्मियों ने जनगीत गाया.
कार्यक्रम को सफल बनाने में रंगकर्मी अमरेश कुमार, मोहित मोहन,विजय कृष्ण पप्पू,देवेंद्र कुवर, रंजन,गुंजेश गुंजन इत्यादि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।