लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के जरिये उसे निष्प्रभावी करने के खिलाफ दो अप्रैल को लखनऊ, इलाहबाद, वाराणसी, गोरखपुर सहित कई स्थानों पर जोरदार प्रदर्शन किया.
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भाकपा (माले) की लखनऊ इकाई ने पार्टी के जिला प्रभारी का0 रमेश सिंह सेंगर के नेतृत्व में लाल झंडे और बैनर के साथ लालकुआं कार्यालय से मार्च शुरू किया। मार्च हुसैनगंज चौराहा,बर्लिंग्टन होते हुए विधान सभा से होकर हजरतगंज चौराहा स्थित अम्बेडकर प्रतिमा पर पहुंचकर वहां मौजूद दलित संगठनों के साथ एकजुटता व्यक्त की और जमकर नारेबाजी की।
इस अवसर पर का0 रमेश सिंह सेंगर ने कहा कि मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद से पूरे देश में दलितों, अल्पसंख्यकों के ऊपर हमलों की बाढ़ आ गई है। एक साजिश के तहत संघ परिवार ने दलितों के सुरक्षा कवच को छिन्न भिन्न कर देने, उनके हमलावरों के मनोबल को बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का उपयोग किया गया है जिसे देश के लोकतंत्र पसंद लोग, दलित-उत्पीड़ित जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।
मार्च में राजीव गुप्त, मीना सिंह, मो0शकील कुरैशी, रमेश शर्मा, रामसेवक रावत, नौमीलाल, डोरीलाल, राजपाल, आर बी सिंह, ओ पी राज, सतीश राव, रामखिलावन, धरनीधर, त्रिलोकीनाथ गुप्ता, जगतराम, राजेश कुमार रावत, जयपाल मौर्य, अमित मौर्य, रामविलास रावत समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।
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गोरखपुर में भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने पुलिस लाइन के सामने स्थित पार्टी कार्यालय से जुलुस निकला जो गोलघर होते हुए कलेक्ट्रेट चौराहा, शास्त्री चौक , घोष कम्पनी होते हुए टाउन हॉल से पुनः गोलघर पहुँचकर मार्च करते हुए गोरखपुर बन्द कराया।
बंद के दौरान सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला सचिव राजेश साहनी ने कहा केंद्र सरकार लगतार दलितों, अल्पसंख्यक छात्रों. युवाओं. मजदूर. किसानों पर अपनी नीतियों के माध्यम से हमला कर रही है और इस देश में दलितों को जो भी अधिकार मिला है उसको छीन लेना चाहती है। जुलूस व सभा में राकेश सिंह. विनोद भरद्वाज, मनोरमा चौहान, अशोक निषाद, सुग्रीव, नन्हे, सपना, अजय भारती, सपना श्रीवास्तव, श्रीराम, विनोद पासवान आदि लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
वाराणसी में एससी/एसटी एक्ट को कमजोर किए जाने के विरोध में सोमवार को सर्किट हाउस, कचहरी पर भाकपा-माले की अगुवाई में विभिन्न जन-संगठनों द्वारा सभा का आयोजन किया गया और प्रतिवाद मार्च निकाला गया।
भाकपा-माले की केंद्रीय समिति के सदस्य मनीष शर्मा ने इस मौके पर कहा कि एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग संबंधी बिना किसी अध्ययन और ठोस साक्ष्य के एक्ट को कमजोर करने की कोशिश की गई है.
सभा को संबोधित करते हुए खेत मजदूर सभा के नेता अमरनाथ ने माँग उठाई की एससी-एसटी एक्ट के पुराने स्वरूप को बहाल किया जाए क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो जातीय अहंकार के मद में चूर सवर्ण-सामंती ताकतें फिर से पहले की तरह दलितों का जातीय अपमान और उत्पीड़न शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि यह यह एक्ट दलितों-आदिवासियों को रक्षा कवच प्रदान करता है और इसकी हिफाजत के लिए अंत तक लड़ा जाएगा।
इंसाफ मंच के संयोजक अमान अख्तर ने कहा कि समाज को जातीय नफरत की आग में झोंकने वाले संभाजी भिड़े को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भिड़े जैसे लोगों का खुले घूमना समाज के अमन-चैन के हक में नहीं है। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर रावण को जिस तरह से गैरकानूनी तरीके से जेल में रखा गया है उसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है, उन्होंने रावण को तुरंत रिहा किए जाने की माँग की।
जन अधिकार मंच के अनिल मौर्य ने कहा कि जबसे केंद और प्रदेश की सत्ता में भाजपा आई है, मुस्लिम खुद को लगातार असुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके खिलाफ कभी गाय के नाम पर तो कभी लव-जिहाद के नाम पर हमले बढ़े हैं। उन्होंने सरकार से मांग की मुस्लिमों की सुरक्षा के लिए एससी-एसटी एक्ट की तर्ज पर कड़ा कानून बनाया जाए।
महिला जागृति समिति की सुमन देवी ने माँग की कि उच्च शिक्षा में आरक्षण खत्म करने वाले प्रावधान को सरकार वापस ले।
मार्च व सभा में मुख्य रूप से नंदकिशोर, एसपी राय, पटना से आए अनिल गुप्ता, हरिशंकर, राजकुमार, इंद्रजीत इलाहाबादी, प्रमोद कुमार, सागर गुप्ता, कामता प्रसाद, अभय नारायण, जगधारी बिंद, सुरेंद्र कुमार, राकेश कुमार गौतम, देवानंद, चंदू आदि शामिल थे।
भाकपा माले ने दलित संगठनों द्वारा सोमवार को आहूत भारत बंद की शानदार सफलता पर खुशी जताते हुए प्रदेशवासियों और देशवासियों को बधाई दी है। पार्टी ने राज्य सचिव सुधाकर यादव ने एक बयान में कहा कि भाकपा माले ने बंद का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि इसे सफल बनाने के लिए जिला मुख्यालयों पर माले व जनसंगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और कानून में संशोधन को रद्द करने की पुरजोर मांग की।
उन्होंने कहा कि दलितों की सुरक्षा के लिए बने केंद्रीय कानून (एससी/एसटी एक्ट, 1989) को बेहद हल्का बना देने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के लिए केंद्र की राजग सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह दलितों को लेकर दोमुंही बातें करती है। सर्वोच्च न्यायालय में इस कानून पर फैसले के समय वह चुप्पी साधे रही और जब देशभर में उसकी भद्द पिटने लगी, तो मुंह छुपाने के लिए पुनर्विचार याचिका लेकर आयी है।
उन्होंने कहा कि इसके पीछे आरएसएस-भाजपा की विचारधारा काम कर रही है, जो दलितों का वोट लेने के समय सामाजिक समरसता और जातिविहीन समाज की बातें करती हैं, लेकिन असल व्यवहार में मनुवाद को लागू करती हैं।