बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में ‘डॉ० आंबेडकर और भारतीय संविधान’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ । यह व्याख्यान प्रो० राव साहब कसबे (नासिक) के द्वारा दिया गया ।
स्वागत वक्तव्य देते हुए हुए प्रो० बसंत त्रिपाठी ने राव साहब का परिचय दिया और बताया कि वो न केवल मराठी समाज के बल्कि देश के बड़े चिंतक हैं। अंबेडकर, गाँधी और संविधान पर लिखी उनकी किताबों का दुनिया में बहुत आदर है. दो-तीन सालों के प्रयास के बाद उनका वक्तव्य सम्भव हो पाया है.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो०राव साहब कसबे ने वक्तव्य की शुरुआत में भारत के इतिहास के एक प्रसंग को साझा किया. उन्होंने बताया कि बाबा साहब कहते थे कि दुनिया के लोगों का मानना है कि भारत का कोई इतिहास नहीं है जो कि झूठ है. भारत का इतिहास समता और विषमता की क्रमिक श्रृंखला का इतिहास है. असमानता प्रतिक्रांति की तरह भारतीय इतिहास में लगातार होती रही है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में पहले वेद थे। वेदों के खिलाफ क्रांति उपनिषदों ने की । यह पहली क्रांति थी । उपनिषदों ने सबसे पहले बताया कि आदमी का स्वरूप क्या है । इस ब्रह्म रूपी शरीर में जो अन्तराकाश है ठीक उसी तरह बाह्याकाश भी है. यही क्रांति की धारा आगे चलकर बुद्ध, महावीर जैन आदि में दिखाई पड़ती है.
भारत का संविधान समझने के लिये उसकी पृष्ठभूमि को जानने की ज़रूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश लोगों के भारत में आने को राज्य में शूद्रों, अति शूद्रों तथा स्त्रियों को अपनी हालत सुधारने का मौका दिए जाने के रूप में भी देखना चाहिए. इससे समान कानून की संकल्पना का आरंभ हुआ. यद्यपि ब्रिटिश और भारतीयों के लिए कानून एक जैसे नहीं थे बल्कि अलग अलग थे. प्रो. कसबे ने आगे कहा कि जब अंग्रेज भारत में भारतीय संविधान अधिनियम 1935 का निर्माण कर रहे थे तो उस निर्माण सभा में बाबा साहब अम्बेडकर भी थे । यह बात गाँधी जी जानते थे तथा उन्होंने ये भी देखा कि अम्बेडकर ने उस अधिनियम में क्या योगदान दिया। इसके बाद गाँधी ने सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद को बुलाकर आग्रह किया कि स्वतंत्र भारत के संविधान सभा के अधिवेशन में किसी भी प्रकार अम्बेडकर को होना चाहिए. इस प्रकार उन्होंने अम्बेडकर की संविधान सभा में मुख्य जिम्मेदारी को सुनिश्चित कराया।
उन्होंने आगे संविधान सभा अधिवेशन के बारे में बताया कि कैसे पहले दिन अम्बेडकर को ड्राफ्ट कमेटी में शामिल किया गया तथा अगले दिन वो उस कमेटी के अध्यक्ष चुने गये । जबकि वो उस सभा के सबसे युवा सदस्य थे । उस सभा के दौरान जब प्रस्तावना लिखी गई तो उसकी शुरुआत ‘हम भारत के लोग’ से हुई जो कि पहली बार बोला गया था. यह भारतीय संविधान का आधार है. उन्होंने इसके बाद प्रस्तावना के एक-एक शब्द का अर्थ विस्तार से समझाया ।
इस दौरान राव साहब ने श्रोताओं द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया
अध्यक्षीय वक्तव्य प्रो० प्रणय कृष्ण ने दिया । वक्तव्य देते हुए उन्होंने कहा कि आज का व्याख्यान विभाग की बहुत बड़ी उपलब्धि है. इसके बारे में चिंतन करना बहुत जरूरी है । राव साहब के वक्तव्य से हम कई सारी नई जानकारियों से समृद्ध हुए हैं । अम्बेडकर ने जिस तरह इतिहास को बरता है वह उल्लेखनीय है.
कार्यक्रम का संचालन प्रो०बसंत त्रिपाठी ने किया. कार्यक्रम के अंत में डॉ०अंशुमान कुशवाहा ने वक़्ता और आये हुए सभी अथितियों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
कार्यक्रम में हरीशचंद्र पांडे, सुरेंद्र राही, प्रियदर्शन मालवीय, आनंद मालवीय, रामजी राय, प्रो० लालसा यादव, प्रो० संतोष भदौरिया, प्रो०भूरेलाल, अशरफ अली बेग, अविनाश मिश्र, के०के०पांडे, अंशु मालवीय, उत्पला, डॉ०सूर्य नारायण, अनिता, डॉ०लक्ष्मण प्रसाद, डॉ०वीरेंद्र मीणा, डॉ. जनार्दन, प्रकर्ष मालवीय, डॉ०अमरजीत राम, नीलम शंकर आदि के साथ ही शहर के गणमान्य, शोधार्थी तथा विद्यार्थियों की उपस्थिति रही ।