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शिक्षण परिसरों में बल प्रयोग और पुलिसिया दमन अलोकतांत्रिक: फेडकूटा

FEDCUTA (फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स) शिक्षण परिसरों में बल प्रयोग और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर हमले की निंदा करता है!

FEDCUTA राजधानी के विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रों और शिक्षकों के खिलाफ पुलिसिया दमन और चरम हिंसा के उभरते हुए खतरनाक पैटर्न की निंदा करता है, जिसका ताजा उदाहरण जामिया मिल्लिया इस्लामिया में किया गया अत्याचार है। इससे पहले, हाल के दिनों में जेएनयू के छात्रों के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों को भी लाठीचार्ज, आंसू गैस, पानी की बौछार आदि का सामना करना पड़ा था।

इस दमन का एकमात्र उद्देश्य उन्हें शांतिपूर्ण विरोध के अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने से रोकना था। जामिया में विरोध प्रदर्शन जामिया टीचर्स एसोसिएशन और छात्रों द्वारा CAB के विरोध में बुलाया गया था। पुलिस द्वारा संसद की ओर इनके मार्च को अवरुद्ध किया गया था जिसने इस प्रक्रिया में प्रदर्शनकारियों पर बर्बर हिंसा की, जिस से कई घायल हुए और लोगों को हिरासत में भी लिया गया था।

FEDCUTA का दृढ़ मत है कि विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और छात्रों को संवैधानिक रूप से शिक्षा और समाज से जुड़े सवालों पर साथ मिलकर विरोध करने का अधिकार होना चाहिए ।

यह सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है कि यदि यह विरोध विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ हो तब भी विरोध करने का अधिकार बरक़रार रहना चाहिए।

साथ ही नागरिकों को विरोध करने से रोकने के लिए बार-बार बल का उपयोग करना भारतीय लोकतंत्र के विकास के लिए उचित नहीं है।

(राजीब रे, अध्यक्ष फेडकूटा, डी के लोबियाल, सचिव फेडकूटा की ओर से जारी)

अनुवाद: टीम समकालीन जनमत

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