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वामपंथी दलों और संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन का समर्थन वाले कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने पर प्रतिवाद किया

नई दिल्ली। दिल्ली की वामपंथी पार्टियों ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को संयुक्त ज्ञापन भेज कर दिल्ली पुलिस द्वारा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने पर कड़ा प्रतिवाद दर्ज किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने भी बयान जारी कर किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की कोशिश को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

यह बयान भाकपा माले के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रवि राय के घर स्पेशल सेल की पुलिस द्वारा 23 फरवरी की शाम को पहुंचने और जबरन घर में घुसने की कोशिश करने की घटना के बाद जारी किया गया है।

सीपीआई के विनोद वाष्र्णेय, माकपा के केएम तिवारी, सीपीआईएमएल के रवि राय, आरएसपी के शत्रुजीत सिंह, एआईएफबी के गौरव कुमार, सीसीपीआई के बिरजू नायक द्वारा जारी संयुक्त में कहा गया है कि 23 फरवरी को भाकपा माले के राज्य सचिव रवि राय के निजी आवास पर तीन लोेग आए जो खुद को दिल्ली स्पेशल सेल का बता रहे थे। वे लगातार घर में घुसने का दबाव बना रहे थे। वे निजी आवास में घुसने के लिए जरूरी कोई कागज नहीं दिखा सके। रवि राय ने बार-बार उनसे कहा कि यदि वे कोई कानूनी कागज दिखाते हैं तो भाकपा माले के कार्यालय में बात करने को तैयार हैं लेकिन वे लोग लगातार घर का दरवाजा खोलने का दबाव बनाते रहे। बाद में उन्होंने कहा कि उन्हें जानी-मानी छात्र कार्यकर्ता और किसान आंदोलन के अखबार टाली टाइम्स के सम्पादक मंडल की सदस्य नव किरण नट के बारे में जानकारी चाहते हैं। जबकि सार्वजनिक तौर पर यह पहले से प्रचारित था कि नवकिरण उसी शाम इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के एक कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर भागीदारी कर रही हैं। साफ है कि नवकिरण आसानी से सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। यदि दिल्ली पुलिस नवकिरण से बात करना चाहती है तो उन्हें पता है कि वे कहां मिलेंगी। उन्हें यह भी पता है कि वे किसी भी सन्दर्भ में बयान लेना चाहते हैं तो कानूनी तौर पर उन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस देनी होगी। साथ ही सूरज ढलने के बाद वे महिला के साथ पूछताछ नहीं कर सकते। तब दिल्ली पुलिस नवकिरण से पूछताछ के नाम पर एक कार्यकर्ता के निजी आवास पर क्यों गई थी ?

ज्ञापन में कहा गया है कि हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की गिरफतारी के मामले में कानून का उल्लंघन किया और वे कर्नाटक के जज के टांजिट आर्डर के बिना ही दिशा को कर्नाटक से दिल्ली ले आए। भारत के गृहमंत्री के निर्देश पर काम करने वाली दिल्ली पुलिस का कानून व नागरिकों के संवैधानिक मानवाधिकारों के प्रति ऐसा अवमानना पूर्ण रवैया क्यों है ? हम आपको यह भी याद दिलाना चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस ने कानूनी प्रावधानों और संवैधानिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए वामपंथी टेड यूनियनों के तमाम नेताओं व कार्यकर्ताओं को छह फरवरी को घरों में नजरबंद कर दिया था ताकि वे किसानों के समर्थन में होने वाले प्रदर्शन में भाग न कर सकें। हम वामपंथी पार्टियां इस सन्दर्भ में तीव्र प्रतिवाद दर्ज कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि आप यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में दिल्ली पुलिस कानून व संविधान के दायरे में रहकर कार्य करे। किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले कार्यकर्ताओं को चुन चुन कर निशाना बनाना बंद किया जाय। युवाओं और विशेष तौर पर युवा महिलाओं की आवाज दबाने की कोशिश बंद की जाए।

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