पुस्तक ‘गीली मिट्टी पर पंजों के निशान’: विडंबनाओं को कविता की ताकत बनाता कविउमा रागMarch 9, 2025 by उमा रागMarch 9, 20250156 कुमार मुकुल ‘गंगा सहला रही है मस्जिद को आहिस्ते आहिस्ते । सरकार ने अब वुजू के लिए साफ़ पानी की सप्लाई करवा दी है’ ‘एक...
कविता उस चाँद पर अब ख़ून के धब्बे हैं ..समकालीन जनमतJanuary 19, 2021January 19, 2021 by समकालीन जनमतJanuary 19, 2021January 19, 202101157 (आलोचना पत्रिका में प्रकाशित फ़रीद ख़ाँ की कविताओं पर एक नज़र) मोहम्मद उमर इस बार की हिंदी त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ के ‘अक्टूबर-दिसम्बर 2020’ के अंक...