समकालीन जनमत

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कविता

अमित की कविताएँ अनसुनी आवाज़ों के चाँद के दीदार की मशक़्क़त है

समकालीन जनमत
रविकांत नई शताब्दी में हिंदी के नए हस्ताक्षरों में अमित परिहार मेरे प्रिय कवि हैं, पर अमूमन वे सुकवि होने से बचते हैं. दोनों में...
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