स्मृति मेरी नींद मत लो मेरे सपने लो: मंगलेश स्मृतिसमकालीन जनमतMay 17, 2021May 18, 2021 by समकालीन जनमतMay 17, 2021May 18, 202101342 मिथिलेश श्रीवास्तव दिल्ली शहर मंगलेश डबराल की कविता ‘मत्र्योश्का’ की तरह है ( मत्र्योश्का रूस की एक लोकप्रिय गुड़िया है जिसमें लकड़ी की बनी क्रमशः...
कविताशख्सियत यातना का प्रतिकार प्रेमसमकालीन जनमतMay 16, 2018May 16, 2018 by समकालीन जनमतMay 16, 2018May 16, 201804190 मंगलेश की कविता ने प्रेम को बराबर एक सर्वोच्च मूल्य के तौर पर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन एकान्त में नहीं, यातना के बरअक्स; क्योंकि...