समकालीन जनमत

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स्मृति

संघर्ष और स्वप्न का कवि रामेश्वर प्रशान्त

समकालीन जनमत
साहित्य की दुनिया में ऐसे भी रचनाकार हैं जिनकी साहित्य साधना जन संघर्ष का हिस्सा होती हैं। वे आत्मप्रचार से दूर रहते हैं। रामेश्वर प्रशान्त...
शख्सियतसिनेमा

जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !

इस ख़त की कोई भूमिका नहीं हो सकती। इरफ़ान, जिनके सिरहाने की एक तरफ़ ज़िंदगी है और दूसरी तरफ़ अंधेरा, ने आत्मा की स्याही से...
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