शख्सियत ‘क्यों कर न हो मुशब्बक शीशे सा दिल हमारा’ -शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की यादमृत्युंजयDecember 28, 2020December 28, 2020 by मृत्युंजयDecember 28, 2020December 28, 202002253 फ़ारूक़ी साहब नहीं रहे। यह इलाहाबाद ही नहीं, समूचे हिन्दी-उर्दू दोआब के लिए बेहद अफसोसनाक खबर है। वे उर्दू के जबरदस्त नक्काद [आलोचक] थे, बेहतरीन...
शख्सियत ज़िया भाई: दोस्त, बुद्धिजीवी और एक्टिविस्टसमकालीन जनमतOctober 2, 2020 by समकालीन जनमतOctober 2, 202003856 ( 28 सितम्बर 1920 को इलाहाबाद के जमींदार मुस्लिम परिवार में पैदा हुए ज़िया –उल-हक़ ने अपने जीवन के सौ साल पूरे कर लिए हैं....