समकालीन जनमत

Tag : ज्योति रीता

कविता

उम्मीद की दूब के ज़िंदा रहने की कामना से भरी ज्योति रीता की कविताएँ

समकालीन जनमत
कुंदन सिद्धार्थ   “जब धरती पर सारी संवेदनाएँ समाप्ति पर होंगी तब बचा लेना प्रेम अपनी हथेली पर कहीं जब धरती बंजरपन की ओर अग्रसर...
Fearlessly expressing peoples opinion