एक दर्जन से अधिक संगठनों के नेताओं ने आशा हड़ताल को समर्थन देते हुए सभा को किया सम्बोधित
पटना. आशा को सरकारी कर्मी का दर्जा देने,18000 मानदेय देने,अशोक चौधरी उच्चस्तरीय समिति के सभी अनुशंसाओं का लाभ आशा को देने, 29 जून,15 को लिखित समझौता अनुसार आशा को मानदेय लागू करने सहित 12 सूत्री मांगों को लेकर राज्य की लगभग एक लाख आशा एक दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. हड़ताल के 13वें दिन दस हज़ार से अधिक हड़ताली आशा कर्मियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शन आज भी जारी रहेगा.
हड़ताल का आह्वान आशा संयुक्त संघर्ष मंच के तीन घटक संगठनों – बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट), आशा संघर्ष समिति एवं बिहार राज्य आशा संघ ने किया है।
प्रदर्शन चितकोहरा गोलंबर से दिन के 12 बजे निकला जो गर्दनीबाग धरना स्थल तक पहुंचा। इस दौरान मुख्यमंत्री खोलो कान देना होगा वेतनमान, महिला सशक्तिकरण का ढोंग बन्द करो , आशा को सरकारी कर्मी घोषित करो, 12 सूत्री मांगे पूरी करो, जबतक मांगें पूरी न होगी तब तक यह हड़ताल चलेगी, आशा को हड़ताल में छोड़ विदेश भागने वाला स्वास्थ्य मंत्री शर्म करो- आशा की मांगे पूरी करो आदि नारों से पूरा गर्दनीबाग इलाका गूंज उठा।
प्रदर्शन गर्दनीबाग धरना स्थल पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया। सभा को भाकपा (माले) विधायक दल नेता का० महबूब आलम सहित ट्रेड यूनियन नेताओं,कर्मचारी संघों के एक दर्जन नेताओं ने हड़ताली आशा कर्मियों के मांगों का समर्थन करते हुये सभा को सम्बोधित किया।
आशाकर्मियो के आन्दोलन के समर्थन में पहुंचे माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने आशा कर्मियों को सम्बोधित करते हुए उनकी सभी मांगों को जायज बताया और कहा कि नीतीश सरकार ने जब आशा को मानदेय देने की सैधांतिक सहमति देते हुए लिखित समझौता किया है तब बिना देर किये नीतीश सरकार को चाहिए कि वो राज्य की अपनी ही जनता आशा के लिये मानदेय लागू करे. उन्होंने आशा के सभी मांगों का और आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा कि नीतीश सुशासन के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने एक गैर जिम्मेदार रवैया अपनाते हुए हडताली आशा और राज्य की जनता जो ठप स्वास्थ्य व्यवस्था से बुरे हाल में है,को छोड़ विदेश भ्रमण के लिये निकल गये है जबकि 16 दिन पहले इस हड़ताल की नोटिस उनको दे दी गयी थी .
उन्होंने नीतीश कुमार से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए अविलम्ब वार्ता बुला कर आशा की मांगों पर सम्मानजनक वार्ता कर मांगें पूरी करने की मांग किया. उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को सभी मांगें माननी होगी।उन्होंने कहा कि आपकी मांग पूरा कराने के लिये मैं और मेरी पार्टी को जो भी करना होगा हम करेंगें।
सभा की अध्यक्षता तीन सदस्यीय अध्यक्षमण्डल के सदस्यों शशि यादव, मीरा सिन्हा, कुसुम देवी ने किया तथा तीन सदस्यीय संचालन मंडल के सदस्यों रामबली प्रसाद,विश्वनाथ सिंह, कौशलेंद्र कुमार वर्मा ने संचालन किया।
गर्दनीबाग धरना स्थल पर आशा कर्मियों की दिन भर चली सभा को अध्यक्षमण्डल व संचालन मंडल के उक्त सदस्यों के अलावे अन्य प्रमुख नेताओं में कर्मचारी महासंघ के मंजुल कुमार दास, सीटू महासचिव गणेश शंकर सिंह, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, ऐपवा राज्याध्यक्ष सह विद्यालय रसोइया संघ अध्यक्ष सरोज चौबे, आंगनबाड़ी नेत्री उषा सहनी,महासंघ गोप गुट राज्य उपाध्यक्ष केडी विद्यार्थी, ममता संघर्ष समिति नेता मो० लुकमान, कुरियर संघर्ष समिति नेता वशिष्ठ प्रसाद सिंह आदि नेताओं ने सम्बोधित किया।
उक्त नेताओं ने आशा की न्यायपूर्ण मांगों को अविल्ब पूरा करने की मांग नीतीश सरकार से किया. नेताओं ने कहा कि आशा बिहार व पुरे देश में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ है ,इस बात को बिहार सरकार भी मानती है । लेकिन आशा को जब अधिकार देने की बात आती है तब नीतीश भाजपा सरकार पीछे भाग जाती है । नेताओं ने पूछा यह आपका कैसा सुसाशन है नीतीश जी ? नेताओं ने यह भी कहा कि आशा के मेहनत के बदौलत ही बिहार स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति किया है जिसका एवार्ड बिहार सरकार ने लिया लेकिन आशा को कोई एवार्ड नीतीश की सुसाशन सरकार नही देती,. नेताओं ने स्वास्थ्य मंत्री के रवैये को ग़ैरजिमेदार बताते हए हड़ताली आशा कर्मियों को हड़ताल में छोड़ तथा पिछले 13 दिन से ठप स्वास्थ्य सेवा में बिहार की गरीब जनता को बुरे हाल में छोड़ विदेश भागने वाला मंत्री बताया।
आशा संयुक्त संघर्ष मंच नेत्री शशि यादव ने 14 दिसम्बर को भी प्रदर्शन घेराव जारी रखने की घोषणा किया .