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डॉ. संजय कुमार पर हुए बर्बर हमले के ख़िलाफ़ दिल्ली टीचर्स इनिशिएटिव का बयान

दिल्ली टीचर्स इनिशिएटिव प्रो. संजय कुमार पर हुए बर्बर हमले की कठोर शब्दों में भर्त्सना करता है. प्रो. संजय कुमार महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं. 17 अगस्त को उन पर जानलेवा हमला किया गया. महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद मीणा के अनुसार कुलपति प्रो. डॉ. अरविंद अग्रवाल, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवनेश कुमार और असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. दिनेश व्‍यास आदि के इशारे पर रचित एक षड्यंत्र के तहत अराजक तत्‍वों ने पहले डॉ. संजय कुमार के साथ बेदर्दी से मार पीट की और फिर पेट्रोल डालकर जलाकर मारने की कोशिश की है. इस बर्बरता की जितने कठोर शब्दों में निंदा की जाये वो कम है. डॉ. मीणा के अनुसार 17 अगस्‍त को जब डॉ. संजय अपने आवास पर थे तो एक अराजक भीड़ द्वारा उन पर मॉब लिंचिंग के रूप में प्राणघातक हमला किया गया। इस भीड़ में से लगभग 6-7 लोगों को संजय जी ने पहचान भी लिया था और उन्‍हें नामजद करते हुए प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा चुकी है। राहुल आर. पांडेय, सन्‍नी वाजपेयी, अमन बिहारी वाजपेयी, दिवाकर सिंह, पुरुषोत्‍तम मिश्रा, रविकेश मिश्रा, जितेंद्र गिरी आदि ने उनके घर में घुसकर उन्‍हें घर से बाहर घसीटकर मारते-‍पीटते हुए जिंदा जलाकर जान से मारने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि फेसबुक पर संजय कुमार सिंह (ब्‍यूरो चीफ, दैनिक भास्‍कर), ज्ञानेश्‍वर गौत्‍तम (विश्‍वविद्यालय की एंटी रैंगिंग सेल सदस्‍य) और राकेश पांडेय (ब्रावो फार्मा के सीएमडी) इस मॉब लिंचिंग के लिए स्‍थानीय लोगों को उकसा रहे थे। जब साथी शिक्षक और विद्यार्थी उन्‍हें पुलिस थाने लेकर गये तो पुलिस पहले तो प्राथमिकी ही दर्ज़ नहीं कर रही थी और फिर शिक्षकों दबाव में प्राथमिकी लिखी भी गई तो जानबूझकर मामले को हल्‍का बना दिया गया है।
डॉ. संजय कुमार को स्‍वर्गीय श्री वाजपेयी जी के ऊपर साझा की गई एक कथित फेसबुक पोस्‍ट के आधार पर निशाना बनाया गया है किंतु वास्‍तव में यह सारा प्रकरण कुलपति की तानाशाही और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जारी शिक्षकों के आंदोलन के साथ जुड़ा मसला है। डॉ. संजय कुमार चूंकि इस आंदोलन में काफ़ी सक्रिय थे, वे भूख हड़ताल पर भी रहे थे अत: उन्‍हें रास्‍ते से हटाने के लिए ही यह जानलेवा हमला करवाया गया है।
डॉ. संजय के मुताबिक जब उन्‍हें जलाकर मारने की कोशिश की जा रही थी तो उन्‍हें और उनके साथी दूसरे शिक्षकों को त्‍यागपत्र देकर विश्‍वविद्यालय से चले जाने को भी बोला जा रहा था। उनसे कहा गया कि उन पर यह हमला इसलिए किया गया है क्‍योंकि वे कुलपति और उनके गुर्गों के भ्रष्‍टाचार और तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं। यह सिर्फ डॉ. संजय कुमार पर हमला नहीं है अपितु शिक्षकों के खिलाफ सांप्रदायिक, जातीय और क्षेत्रीय हिंसा भड़काने की एक बड़ी साजिश का सिर्फ शुरुआती ट्रेलर है।
आगे डॉ. प्रमोद मीणा जी ने बताया कि कुलपति की तानाशाही और भ्रष्‍टाचार का आलम तो यह है कि कुलपति पहले भी दो शिक्षकों को नौकरी से हटा चुके हैं (जिन्‍हें शिक्षकों के आंदोलन के चलते उन्‍हें वापस भी लेना पड़ा था)। वे कुछ शिक्षकों का त्‍यागपत्र भी अनुचित दबाव डालकर लिखवाकर अपने पास रखे हुए हैं। महिला शिक्षकों की निजता का उल्‍लंघन करते हुए उन्‍होंने शिक्षक-शिक्षिकाओं के निजी कक्षों में सीसीटीवी कैमरे तक लगवाये हैं जिनमें उनकी निजी बातचीत और गतिविधियों को रिकॉर्ड कर उन्‍हें प्रताड़ि‍त किया जाता है। अपनी मातृभाषा में बात करने पर शिक्षकों को नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है। जींस पहनने और नौकरी के लिए अन्‍यत्र आवेदन करने तक पर उन्‍होंने शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस दिये हैं। प्रोबेशन अवधि में हर दिन उन्‍होंने हम शिक्षकों को नौकरी से निकाल देने की धमकी दी है। छात्राओं और महिला शिक्षकों के माध्‍यम से शिक्षकों पर फर्जी यौन उत्‍पीड़न के मामले बनवाये हैं। आरक्षण और रोस्‍टर के नियमों का खुला उल्‍लंघन किया है। अक्‍सरबैठकों में सभी शिक्षकों के सामने मौखिक रूप से माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय की अवमानना करते रहते हैं। कैग की जांच रपट में इनके ऊपर भ्रष्‍टाचार के भी गंभीर आरोप लगाये गये हैं।

इतना सब होने पर भी शिक्षकों ने आज तक अपनी मर्यादा नहीं तोड़ी है। 29 मई से विश्‍वविद्यालय के शिक्षक नियमित कक्षायें लेते हुए भी क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं और यह सारा आंदोलन संविधान के दायरे में शांतिपूर्वक चलाया जा रहा है। किंतु फिर भी कुलपति और उनके गुर्गों द्वारा अनावश्‍यक रूप से शिक्षकों को धमकाया जाता रहा है। कई बार शिक्षकों को बाहरी अराजक तत्‍वों से पिटवाने की साजिशें तक की गई थीं। उन्‍हीं साजिशों के ही क्रम में 17 अगस्त को यह दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना घटी है जिसके चलते डॉ. संजय गंभीर रूप से घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं.


उनका कहना है कि विश्‍वविद्यालय में जारी इतनी गंभीर अराजक स्थितियों के परिप्रेक्ष्‍य में साफ लगता है कि ऊपर तक के लोग इस सारे मामले में लिप्‍त हैं। अत: इन स्थितियों में महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय का शिक्षक संघ देश भर के शिक्षक संघों और छात्र संघों से समुचित कार्रवाई हेतु अनुरोध करता है। हमारा शिक्षक संघ देश की तमाम प्रगतिशील ताकतों से इस संकट की घड़ी में साथ देने की अपील करता है। नागरिक समाज से लेकर तमाम प्रतिबद्ध लोगों से हम विश्‍वविद्यालय की इस भ्रूण हत्‍या को रोकने में सक्रिय सहयोग की अपील करते हैं। केंद्र और बिहार सरकार से आरोपियों की त्‍वरित गिरफ्तारी की भी हम मांग करते हैं। अगर इन लोगों से सतत् मिल रही धमकियों के बीच विश्‍वविद्यालय के किसी भी शिक्षक को कुछ हो जाता है तो उसके लिए पूर्णत: कुलपति ही जिम्‍मेदार होंगे।

दिल्ली टीचर्स इनिशिएटिव (DTI) डॉ. प्रमोद मीणा, अध्यक्ष, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा दिए गए विवरणों के आधार पर बिहार सरकार और MHRD से दोषियों को गिरफ्तार कर अविलम्ब कार्यवाही किए जाने की मांग करता है. साथ ही डॉ. संजय समेत सभी आंदोलनकारी शिक्षकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की भी मांग करता है.

प्रो. गोपाल प्रधान
संयोजक: दिल्ली टीचर्स इनिशिएटिव (DTI)

डॉ. उमा गुप्ता
सह संयोजक: दिल्ली टीचर्स इनिशिएटिव (DTI)

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