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गाँव के लोगों के साथ भाकपा माले जांच दल
ग्राउन्ड रिपोर्ट

पुलिस की गोली से ही रोशनी की मौत हुई, घटना की न्यायिक जांच हो : भाकपा माले

माले जांच दल ने सिद्धार्थनगर का दौरा किया, जांच रिपोर्ट जारी की

लखनऊ। भाकपा (माले) के चार सदस्यीय जांच दल ने सिद्धार्थनगर जिले में सदर थानांतर्गत कोड़रा गांव के इस्लामनगर टोले का सोमवार की शाम दौरा किया जहाँ 14-15 मई की रात पुलिस कार्रवाई के दौरान एक महिला (रोशनी, 50 वर्ष, पत्नी अकबर अली) की गोली लगने से मौत हो गई थी।

जांच दल ने मृतका के परिजनों से मिलकर संवेदना प्रकट की, घटना से जुड़े तथ्यों को एकत्र किया और लौटकर अपनी रिपोर्ट जारी की है।

जांच दल का नेतृत्व भाकपा (माले) की राज्य स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) के सदस्य राजेश साहनी ने किया। उनके साथ टीम में राज्य कमेटी सदस्य रामलौट प्रसाद, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) की नेत्री रेनू बाला व कामरेड शकूर आलम शामिल थे।

माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार को जांच रिपोर्ट प्रेस को जारी करते हुए कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रोशनी को गोली किसी अन्य ने नहीं, पुलिस टीम ने मारी। जिस जितेंद्र यादव को पुलिस गोली मारने का आरोपी बता रही है, उसके बारे में गांववासियों का कहना है कि वह पुलिस का ही मुखबिर है और पुलिस ने खुद का दामन बचाने के लिए उसे बलि का बकरा बना दिया है।

माले जांच दल के अनुसार, पुलिस की गोकशी वाली कहानी मनगढ़ंत और फर्जी है। जांच टीम को स्थानीय युवक राजकुमार ने बताया कि गांव में कभी भी गोकशी की घटना सुनने में नहीं आई है। गांव का यह टोला (इस्लामनगर) मुस्लिम बहुल है और बंजारा समुदाय के लोग रहते हैं। यहां के निवासी मजदूरी करके और कुछ मुंबई में छोटे-मोटे काम-धंधा करके जीवन यापन करते हैं ।

जांच दल को मृतका के स्वसुर 75 वर्षीय अब्दुल हई ने बताया कि 14 मई की रात्रि करीब साढ़े दस बजे 20-25 की संख्या में वर्दी व गैर-वर्दी में लोग रोशनी के घर में घुस आए। उनमें कुछ पुलिस की वर्दी में थे और कुछ लोग हाफ पैंट-टीशर्ट पहने हुए थे। ज्यादातर राइफल लिए हुए थे, लेकिन कुछ जो हाफ पैंट-शर्ट में थे, रूल यानी छड़ी लिए हुए थे। इस बात की तस्दीक जांच टीम के पहुंचने पर वहां एकत्र हुए करीब डेढ़ दर्जन स्थानीय निवासियों ने भी की।

गाँव की महिलाओं ने घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी

बुजुर्ग ने बताया कि उन्होंने पुलिस वालों से कारण पूछा तो उनके सीने पर रिवाल्वर लगा दी और मार देने की धमकी दी। पुलिस घर में घुसी और पत्नी के साथ सोये 30 वर्षीय अब्दुर रहमान को उठाकर खींचकर बाहर बरामदे में ले आई। तब तक अब्दुल की मां रोशनी (अब मृत) भी बरामदे में आ गई और बेटे को उठाकर ले जाने का कारण पूछने लगी।

अब्दुर पांच दिन पूर्व नौ मई को मुंबई से लौटा था और 22 मई को होने वाली अपनी बहन की शादी में शामिल होने आया था।

पुलिस बिना कुछ बताए अब्दुर रहमान को घसीट कर बाहर ले जाने लगी, तब रोशनी अपने लड़के का दोनों पैर अपने दोनों हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगी। पुलिस के लोग गाली देने और गोली मार देने की धमकी देने के साथ, मां से बेटे को छुड़ाने का प्रयास करते हुए घर से करीब 30 मीटर तक घसीट कर ले गए। इस दौरान जब महिला ने अपने बेटे को नहीं छोड़ा, तो पुलिस ने पीछे से रोशनी की कमर में गोली मार दी। रोशनी के ढीले पड़ जाने पर पुलिस अब्दुल रहमान को दूर खड़ी गाड़ी में बैठाकर नौगढ़ थाने में ले गई।

गोली लगने के बाद खून से लथपथ रोशनी को परिजन मोटरसाइकिल से नौगढ़ जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

परिजन और गांववासी रोशनी का शव लेकर सड़क पर वापस आ रहे थे। तब तक अब्दुर रहमान के बारे में पुलिस से पूछने पर वह लगातार इंकार करती रही कि रहमान को वह नहीं ले आई है, वह कुछ नहीं जानती है। जब लोगों ने शव के साथ सड़क जाम करने की चेतावनी दी, तब पुलिस थाने से अपनी जीप में बैठाकर अब्दुर रहमान को परिजनों को सौंप गई। साथ ही पंचनामा बनाकर मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

माले जांच दल ने रोशनी की गोली मारकर हत्या करने वाले पुलिसकर्मियों को हत्या के आरोप में जेल भेजने, रेड डालने वाली टीम में गैर-वर्दी वालों की शिनाख्त करने सहित पुलिस की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने, घटना पर लीपापोती करने के लिए डीएम-एसपी पर कार्रवाई करने और इलाके में मुस्लिम समुदाय में फैलाए जा रहे पुलिसिया आतंक पर रोक लगाने की मांग की।

जांच रिपोर्ट

ग्राम कोड़रा टोला इस्लामनगर जो ग़ामसभा के 22 टोले में से एक है, सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर पश्चिम और उत्तर स्थित है। टोला इस्लामनगर सहित 22 टोले मुस्लिम बहुल हैं। टोला टिकरिया के अरशद ग्राम प्रधान है ।इस्लामनगर टोले पर लगभग 50 घर हैं जो मुस्लिम समुदाय के बंजारा जाति के लोग हैं। कोई अन्य समुदाय का घर इस टोले पर नहीं है। ज्यादातर युवा और पुरुष मुंबई व अन्य शहरों में रहकर कबाड़ खरीदने और बेचने का व्यवसाय करते हैं। लगभग सभी परिवार भूमिहीन हैं या एकाध बीघे जमीन वाले हैं। चूंकि बंजारा समुदाय घुमंतू जाति है और उनका कोई निश्चित आजीविका नहीं है तो कुछ लोग पशुपालन, ठांठ भैंस बैल गाय खरीदने बेचने का काम करते रहे हैं।

इस्लामपुर में लगभग सभी मकान पक्के हैं लेकिन शिक्षा नहीं है ।कोड़रा गांव के पहले टोले पर रहने वाले दलित युवक राजकुमार ने जांच दल को बताया कि इस गांव में कभी भी गोकशी या अन्य तरह की घटना सुनने में नहीं आई है। इधर इस्लामपुर से 2 किलोमीटर और उत्तर गांव रोशन जोत में 15 दिन पहले चार-पांच लोगों को गोकशी के आरोप में पुलिस उठा ले गई है। और वह लोग अभी भी जेल में हैं। जांच दल सायं 5:00 बजे इस्लामपुर पहुंची तो रास्ते में 20-25 पीएसी के जवान कुछ दूर एक गाड़ी पुलिस और फिर तीसरे जगह पुलिस के जवान तैनात मिले ।

टोले में पहुंचने पर अब्दुर रहमान के घर पर मौजूद 15-20 महिला पुरुष एकत्रित हो गए। 75 वर्षीय अब्दुल हई जो 30 वर्षीय अब्दुल रहमान का बाबा हैं, ने बताया कि मेरे बेटे अकबर अली के 4 पुत्र अब्दुर रहमान (30 वर्ष), अतीक उर रहमान, मोहम्मद शाहरुख, मुजीब उर रहमान है। अब्दुर्रहमान सबसे बड़ा है जो 9 मई को मुंबई से घर आया था।  अब्दुर्रहमान के बहन की 22 मई को शादी होने वाली थी।

उन्होंने बताया कि 14 मई को रात्रि 10:30 बजे 20-25 की संख्या में गाँव पहुंचे। इसमें कुछ लोग पुलिस की वर्दी में थे और कुछ लोग हाफ पेंट और टीशर्ट पहने हुए थे। अधिकतर लोग राइफल लिए हुए थे। हाफ पैंट व शर्ट पहने हुए लोग रूल लिए हुए थे। यह लोग पहले अब्दुल रहीम पुत्र भोथू के घर में घुसे। आसपास के घरों के लोगों ने विरोध किया तो बाहर निकल गए। उसके बाद ये लोग 100 मीटर पूर्व जाकर दाहिने दक्षिण बिल्कुल किनारे स्थित अब्दुर्रहमान पुत्र अकबर अली के घर में घुस गए।  अब्दुल हई (75 वर्ष ) ने जब कारण पूछा तो उनके सीने पर रिवाल्वर लगा दिया और मार देने की धमकी दी। घर में घुसी पुलिस पत्नी के साथ सोए 30 वर्षीय अब्दुल रहमान को उठाकर खींचकर बाहर बरामदे में ले आयी। तब तक उनकी मां 50 वर्षीय रोशनी पत्नी अकबर अली भी बरामदे में आ गई और बेटे को उठाकर ले जाने का कारण पूछने लगी। पुलिसकर्मी बिना कुछ बताए अब्दुर रहमान को घसीट कर बाहर ले जाने लगए तो रोशनी ने अपने बेटे का दोनों पैर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगी।

पुलिसकर्मी गाली देते हुए गोली मार देने की धमकी देते हुए मां से बेटे को छुड़ाने का प्रयास करते हुए घर से 20 से 30 मीटर तक घसीट कर ले गये। घसीटे जाने के बावजूद जब रोशनी ने अपने बेटे को नहीं छोड़ा तो पुलिस ने पीछे से रोशनी की कमर में गोली मार दी और रोशनी के ढीले पड़ जाने पर अब्दुल रहमान को खींचकर दूर खड़ी गाड़ी में बैठाकर नौगढ़ थाने में ले गई । गोली लगने के बाद परिजन मोटरसाइकिल से रोशनी को नौगढ़ जिला अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने रोशनी को मृत घोषित कर दिया। परिजन और टोले वासी रोशनी का शव लेकर  वापस आ रहे थे तब अब्दुर रहमान के बारे में पुलिस से पूछने पर पुलिस लगातार इंकार करती रही कि वे अब्दुर रहमान को ले गए हैं। पुलिस यही कहती रही कि वह कुछ नहीं जानती है। जब लोग सड़क जाम करने की बात करने लगे तब पुलिस थाने से अपनी जीप में बैठाकर अब्दुर रहमान को ले आई और परिजनों को सौंप दिया।

अब्दुल हलीम पुत्र मोहम्मद आतीम (50 वर्ष) ने बताया कि टोला इस्लामपुर से एक किलोमीटर दूर दक्षिण शाम 7 बजे से ही पुलिस खड़ी थी और नौगढ़ से टेंपो लेकर आने वाले व्यक्ति को गाली देकर रोक ली, उसका मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया और खड़े रहने को कहा। दूसरा एक टेंपो जो नौगढ़ स्टेशन मुंबई से आने वाले एक व्यक्ति को लेने गया था उसको भी रोककर गाली देते हुए मोबाइल छीनकर स्विच ऑफ करके खड़े हो जाने के लिए कहा गया।

अब्दुल हलीम ने जांच दल को बताया कि इधर चार-पांच वर्षों से हर हफ्ते पुलिस गांव में आती रहती है और गोकशी आदि कह कर इधर-उधर की बातें करते हुए धमकाती रही है। अब्दुल रहमान के घर पर जुटी राबिया खातून, रशीदुनिशा, इस्लामू ना मियां खातून मोमिना आदि दर्जनों महिलाओं ने जांच दल को बताया कि इधर हाल के दिनों में पुलिस की आवाजाही आसपास और टोले में बढ़ी है। घटना के दिन मौके पर मौजूद महिलाओं ने बताया कि रोशनी अपने बेटे को पुलिस से बचाने के लिए उससे लिप्त गई थी। पुलिस ने उसे भी बेटे के साथ घसीटा फिर भी उसने बेटे का पैर नहीं छोड़ा। अंत में गोली खा कर मर गई लेकिन मां ने बेटे को नहीं छोड़ा। रोशनी के मरने के बाद ही पुलिस अब्दुर रहमान को उठा ले जा पाई।

 सिद्धार्थनगर के पुलिस अधीक्षकने बयान दिया है कि अब्दुर रहमान की मां रोशनी की मौत जितेंद्र यादव की गोली से हुई है। जितेंद्र यादव के बारे में लोगों ने बताया कि वह पुलिस का मुखबिर है और पुलिस के लिए पशु तस्करी में लिप्त लोगों से पैसा वसूली करता है। पुलिस ने अपने बचाव के लिए अपने ही मुखबिर को फंसा दिया है ।

जांच दल का निष्कर्ष और मांग 

1- पुलिस किसी बड़ी साजिश के तहत बड़ी घटना करने की नीयत से ग्राम कोड़रा टोला इस्लामनगर बंजारा मुस्लिमों की बस्ती में गई थी।

2-घटना की न्यायिक जांच कराई जाए जिससे घटना का पर्दाफाश हो सके। रोशनी के हत्यारे पुलिस कर्मियों को जेल भेजा जाए, और हाफ पेंट टी-शर्ट और रूल लिए लोगों की शिनाख्त किया जाए।

3- सिद्धार्थनगर एसपी और डीएम को तत्काल हटाया जाए। गांव सहित क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय में फैलाए जा रहे पुलिस आतंक पर रोक लगायी जाए।

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