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शहजाद मुठभेड़ पर रिहाई मंच ने उठाए आठ सवाल


लखनऊ। रिहाई मंच ने सहारनपुर के फिराहेड़ी में मुजफ्फरनगर खतौली के शहजाद की मुठभेड़ में मारे जाने के पुलिसिया दावे पर सवाल उठाया। मंच ने कहा कि परिजनों ने मुठभेड़ के पहले ही स्थानीय पुलिस से उसके गायब होने की सूचना दी थी। ऐसे बहुतेरे सवाल हैं जो इस मुठभेड़ में पुलिस की भूमिका पर न सिर्फ सवाल उठाते हैं बल्कि पुलिस की आपराधिक भूमिका को भी उजागर करते हैं।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मुजफ्फरनगर खतौली के शहजाद के मुठभेड़ पर परिजनों द्वारा सवाल उठाने के बाद मुठभेड़ के पुलिसिया दावे पर सवाल उठना तब और लाजिमी हो जाता है जब उनकी पत्नी का यह दावा कि जब उन्होंने शाम को फोन किया तो उन्हें जबरन कहीं ले जाने की आवाज मोबाइल पर सुनाई दी- छोड़ दो, छोड़ दो…गाड़ी में डालो इसे… और फोन कट गया।
रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल ने खतौली मुजफ्फरनगर जाकर शहजाद के परिजनों से मुलाकात की है। प्रतिनिधिमंडल में इंजीनियर उस्मान, रविश आलम, आशु चौधरी, अमीर अहमद, आरिश त्यागी और साजिद थे. परिजनों ने सहारनपुर के गागलहेडी में पुलिस द्वारा मारे गए 38 वर्षीय शहजाद के पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मामले की जांच की मांग की।
शहजाद रेडा चलाता था और गुब्बारों का काम करता था। शहजाद के पांच बच्चे हैं। बच्चे छोटे-छोटे हैं जिनका एकमात्र सहारा शहजाद ही था।

शहजाद की पत्नी जरीना (40 वर्ष ) ने बताया कि शनिवार की शाम 6 बजे वो बैटरी चार्ज करवाने के लिए घर से निकले थे। रास्ते में राजीव नाम का एक व्यक्ति उन्हें बुलाकर ले गया। वहां पहले से कई लोग घात लगाए बैठे थे जो उन्हें उठा ले गए। मैंने बहन के मोबाइल से कॉल की तो शहजाद का फोन तो उठा मगर गलियों की आवाज आई…छोड़ दो, छोड़ दो…गाड़ी में डालो इसे… ये आवाज आई और फोन कट गया। राजीव बदमाश प्रवृत्ति का इंसान है। उसने पुलिस वालो के साथ मिलकर उसे मरवा दिया। हम तो खानाबदोश जिन्दगी जी रहे थे कभी यहां तो कभी वहां। अभी हम बड़ौत के न्यू कॉलोनी कांशीराम मोहल्ले में रह रहे थे। उन्हें वहीं से उठाया गया। सुबह 10 बजे हम पुलिस चौकी गए जहां बताया गया कि आज रविवार है, साहब 4 बजे आएंगे। फिर हम इसकी अर्जी बनाकर दे आए। इतने में खबर मिली कि शहजाद को पुलिस ने मार दिया। वह मेहनत मजदूरी करके पेट पाल रहा था। अब हम सब क्या करेंगे ?

शहजाद के पिता अलाउद्दीन 68 वर्षीय की नजरें बहुत कमजोर हैं। बताते हैं कि पड़ोस के किसी व्यक्ति ने बताया कि व्हाटसअप पर आया है कि शहजाद की मौत हो गई। मुझे तो कम दिखता है मगर बच्ची ने पहचान की। शहजाद 10 साल से बाहर रह रहा था कभी-कभी मिलने आता था। पिछले महीने भी आया था। मालूम नहीं था कि इस तरह मार दिया जाएगा। पुलिस ने निशाना बनाकर मारा है। कोई हमें इंसाफ दिला दे ।

मुहल्ले वालों का कहना है कि शहजाद को गोली से नहीं, पीट-पीट कर मारा गया। जब हम लाश को नहला रहे थे तो उसके अन्डकोश फूटे हुये थे, टांग टूटी हुई थी, पसलियों पर निशान थे, गोली का कोई निशान नहीं था। उसको पहले मारा गया, बाद में दिखाया गया कि एनकाउन्टर है। इलाके वालों का यह भी कहना है कि गागलहेड़ी के थानाध्यक्ष आदेश त्यागी जिन्होंने किसान देवेन्द्र त्यागी के अपहरण के नाम पर शहजाद को पुलिस मुठभेड़ में मारा वह पहले खतौली में रह चुके हैं।

शहजाद पुलिस मुठभेड़ पर रिहाई मंच के सवाल
1- पहला सवाल कि शहजाद मुठभेड़ मामले की एक फोटो में एक व्यक्ति जमीन पर गिरा हुआ है और उसके समानांतर एक असलहा है जिस पर उसका हाथ रखा हुआ दिखाई दे रहा है। प्रथम दृष्टया असलहे पर रखे हाथ का दृश्य संदेह पैदा करता है। वहीं दाहिने पैर में सफेद बद्धी की चप्पल तो वहीं बाएं पैर के पास काले रंग का जूता है ?

2- दूसरा सवाल कि अस्पताल की फोटो में कमर में कारतूस की बेल्ट बंधी हुई है और शर्ट ऊपर चढ़ी हुई है। इससे संदेह पैदा होता है कि अगर कोई व्यक्ति कारतूस की बेल्ट पहनकर घटना को अंजाम देने जाएगा तो क्या वह शार्ट शर्ट पहनेगा जिससे कारतूस की बेल्ट सबको दिखे ?

3- तीसरा सवाल कि शिनाख्त के लिए सहारनपुर के गागलहेड़ी थानाध्यक्ष आदेश कुमार त्यागी ने गश्ती तलाश जारी किया कि ‘जिसकी जामा तलाशी से एक फोटो कापी राशन कार्ड जिसमें जरीना पत्नी शहजाद निवासी सरधना मेरठ अंकित है व एक पर्ची मोबाइल नंबर 9058675006 शहजाद अंकित है।’ आखिर क्यों कोई और वो भी बदमाश राशन कार्ड की फोटो कापी और मोबाइल नंबर लिखी पर्ची लेकर घूमेगा।

4- चौथा सवाल कि परिजनों को जब सुबह 11-12 बजे के बीच सूचना दी जा चुकी थी तो आखिर शाम 5 बजकर 10 मिनट पर हुए पोस्टमार्टम को क्यों अज्ञात के नाम पर किया गया। जबकि 26 मई को 11.10 पर आई खबर जिसमें एसएसपी दिनेश कुमार को भी कोट किया गया है उसमें साफ लिखा है- मृतक की पहचान शहजाद निवासी रेलवे स्टेशन के निकट खतौली, मुजफ्फरनगर के रुप में हुई है। (मुठभेड़ में बदमाश ढेर, अपह्त किसान को मुक्त कराया, ब्यूरो सहारनपुर Updated Sun, 26 May 2019 11:10 PM IST https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/saharanpur/crime/crooks-killed-in-the-encounter-freed-the-kidnapped-farmer)

5- पांचवा सवाल कि पुलिसिया मुठभेड़ में किसी गाड़ी की बरामदगी की खबर सामने नहीं आई। वहीं परिजनों को भी इसके बारे में कोई सूचना नहीं है (योगी सरकार में अपराधी के नाम पर हुए मुठभेड़ों में एफआईआर, पोस्टमार्टम या अन्य दस्तावेज परिजनों को नहीं दिए जाते)। वहीं सहारनपुर पुलिस ने एसएसपी दिनेश कुमार का वीडियो ट्वीट किया है जिसमें इसपर संदेह व्यक्त करते हुए तकनीकी जांच किए जाने की बात कही गई है कि गाड़ी थी या नहीं, टोल प्लाजा से गुजरी या नहीं।


6- छठा सवाल कि जरीना ने अपने पति शहजाद के घर न आने पर अपनी बहन सलमा के मोबाइल नंबर 9521373818 से जब शहजाद के मोबाइल नंबर 8791405011 पर फोन किया तो फोन उठा मगर गालियों की आवाज आई। छोड़ दो…गाड़ी में डालो इसे… और फोन कट गया। आखिर ऐसा क्या हो रहा था जो इस तरह की आवाजें आ रही थीं। क्या शहजाद को कोई जबरदस्ती कहीं ले जा रहा था। क्या वह पुलिस तो नहीं थी।

7- सातवां सवाल यह कि सहारनपुर के फिराहेड़ी गांव के किसान देवेन्द्र त्यागी का अपहरण, तुरंत दो किलोमीटर की दूरी पर जाकर आधी रात 12:45 पर उसके भाई को फोन कर दस लाख रुपए की फिरौती की मांग, भाई द्वारा 100 नंबर पर सूचना, फोन काल की लोकेशन के आधार पर पुलिस का पहुंचना, बदमाशों द्वारा फायरिंग, मुठभेड़ में शहजाद का मारा जाना और उसके साथी को फरार बताया जाना। क्या दस लाख की फिरौती की मांग करने वाले बदमाश इतनी जल्दबाजी में होंगे। किसी गाड़ी की बरामदगी का न होना भी सवाल पैदा करता है कि क्या इतने प्रोफशनल बदमाश इतनी बड़ी पकड़ इतनी आसानी से जाने देगा।

8- मुहल्ले वालों का यह कहना कि इसको गोली से नहीं पीट-पीट कर मारा गया है। जब वे लाश को नहला रहे थे तो उसके अन्डकोश फूटे हुए, दांत टूटे हुए, बाएं टांग टूटी हुई, पसलियों पर निशान, गोली का कोई निशान नहीं। शायद उसको पहले मारा गया बाद में एनकाउन्टर दिखा दिया गया। ठीक यही बात शहजाद का भाई नौशाद और पिता अलाउद्दीन भी कहते हैं। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चार जख्म गोली से हैं। पहली चोट सिर पर गोली अंदर गई, दूसरी चोट गोली सिर के बाहर निकल गई, तीसरी चोट सीने में गोली अंदर की ओर गई और चौथी चोट गोली पीठ से बाहर निकल गई। चौथी चोट में पीठ पर चार और चोटें दिखाई गईं। सवाल है कि आखिर शहजाद को जो चोर्टें आईं, कैसे आईं। मुहल्ले वाले और परिजन आखिर क्यों कह रहे हैं कि गोली का कोई निशान नहीं है।

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