भाकपा माले ने चीनी मिल को अविलंब चालू करने की मांग की, माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने मुख्यमंत्री व गन्ना मंत्री को लिखा पत्र
पटना । सीतामढ़ी जिले में अवस्थित रीगा चीनी मिल बंद है। जनवरी का महीना बीत रहा है लेकिन अभी तक पेराई सत्र आरंभ नहीं हो सका है. इस कारण इलाके के करीब 40 हजार ईख काश्तकार और करीब 700 मिल कामगार के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल चीनी मिल को अविलंब चालू करने की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तमाम दावों के विपरीत आज राज्य में मात्र 11 चीनी मिलें बची रह गई हैं. रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने के बाद यह संख्या घटकर 10 रह जाएगी. काश्तकारों के खेतों में करीब 15 लाख क्विंटल गन्ना खड़ा है, जिसकी कीमत 50 करोड़ के आसपास बताई जा रही है. ये सब बर्बाद हो रहे हैं. किसानों का 60 से 70 करोड़ रुपये का बकाया पड़ा हुआ है. केसीसी के मार्फत दिए गए ईख मूल्य पर बैंकों की दावेदारी भी 60 करोड़ के आसपास बताई जा रही है. मिल मजदूरों का ढाई करोड़ रु. का बकाया भी प्रबंधन के पास है. स्थिति बेहद गंभीर हो चली है. लोग आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन मिल अभी तक चालू नहीं हुआ है.
कहा कि रीगा चीनी मिल के प्रबंधन ने हमारी जानकारी के मुताबिक सरकार को यह लिखा है कि वह मिल को चला पाने में बिलकुल सक्षम नहीं है. सरकार व प्रशासन की ओर से इस दिशा में अब तक किसी भी प्रकार की पहलकदमी नहीं दिखलाई पड़ रही है. यह बहुत ही गैरजिम्मेवाराना रवैया है. सरकार अपनी पहलकदमी पर मिल चालू करवाए.
सिकटा विधायक व गन्ना उत्पादक किसान महासभा के राज्य संयोजक बीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि सूबे में विगत ढाई महीने से चीनी मिलें चालू हैं, लेकिन अब तक सत्र 2020-21 के लिए गन्ना मूल्य का निर्धारण नहीं हो सका है. डीजल, खाद, कीटनाशक जैसी वस्तुओं और जरूरी कृषि उपकरणों के मूल्य लगातार बढ़ते गए हैं. गन्ना से पैदा होने वाली वस्तुओं चीनी, इथेनाॅल और अन्य वस्तुओं के दाम भी बढ़ गए हैं, लेकिन किसानों के लिए गन्ना का मूल्य अभी तक निर्धारित नहीं हो सकना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हमारी मांग है कि वर्तमान सत्र में 400 रु. प्रति विक्ंटल की दर से गन्ना का मूल्य निर्धारित किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि सासामूसा, गोपालगंज, सिधवलिया चीनी मिलों ने पिछले साल का भुगतान अभी तक नहीं किया है. ऊपर से रीगा के किसानों को भी अब उपर्युक्त चीनी मिलों में ही गन्ना आपूर्ति करने को कहा जा रहा है. यह किसान हित के प्रतिकुल है. इस फरमान को रद्द कर रीगा चीनी मिल को ही चलाने की व्यवस्था की जाए. नियमानुसार 14 दिनों के अंदर किसानों के बकाये पैसे के भुगतान की व्यवस्था की जाए. यदि 14 दिनों के अंदर भुगतान नहीं होता है तो नियमानुसार ब्याज सहित भुगतान की गारंटी की जाए. मझौलिया चीनी मिल द्वारा विगत साल के बकाये का भुगतान कराया जाए. भुगतान में ब्याज राशि भी जोड़ी जाए. उच्च, सामान्य व निम्न प्रभेद घोषित कर गन्ना की कीमत को कम निर्धारित करने का खेल बंद किया जाए. इस साल निम्न प्रभेद घोषित किए गए 2061 जैसे प्रभेदों को सामान्य प्रभेद घोषित किया जाए. 6 से 8 प्रतिशत गन्ना की घटतौली कर गन्ना का वजन निर्धारित करने पर अविलंब रोक लगाई जाए. किसानों के सेस के पैसे से किसान संगठनों के नियंत्रण में धर्मकांटा की व्यवस्था की जाए. गन्ना आच्छादित क्षेत्र की मापी, आपूर्ति चलान आदि प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए. छोटे-मध्यम किसानों की आपूर्ति चलान सबसे बाद में दिया जाता है, जिसके चलते गन्ना खेती उनपर काफी भारी पड़ती है, इस पर रोक लगाई जाए. उनके गन्ना पहले लेने की व्यवस्था की जाए.
इन सवालों को लेकर बीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने माननीय मुख्यमंत्री, गन्ना मंत्री और प्रधान सचिव गन्ना विभाग को पत्र भी लिखा है, और इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.