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अवध किसान आंदोलन की स्मृतियों को ताज़ा करती हुई राजीव कुमार पाल की पुस्तक “एका” का विमोचन

लखनऊ।
एक सदी पूर्व जनमानस को झकझोर देने वाले अवध किसान आंदोलन की स्मृतियाँ अब जनमानस में धुंधली सी पड़ती जा रही हैं। इन्ही स्मृतियों को ताज़ा करती हुई राजीव कुमार पाल की पुस्तक “एका” का विमोचन 6 जुलाई को लखनऊ के कैफ़ी आज़मी एकेडमी सभागार में सम्पन्न हुआ।
पुस्तक का प्रकाशन नवारुण प्रकाशन ने किया है। “एका” की भूमिका प्रख्यात लेखक सुधीर विद्यार्थी ने लिखी है। बीसवीं सदी के दूसरे और तीसरे दशक में अवध के एक बड़े भू-भाग में किसानों में चेतना का एक स्वतःस्फूर्त आंदोलन उठ खड़ा हुआ था। इस आंदोलन को प्रतापगढ़ में बाबा रामचंद्र, झिंगुरी सिंह व सहदेव सिंह, हरदोई में मदारी पासी, रायबरेली में माताबदल मुराई व अमोल शर्मा, सुल्तानपुर में बाबा राम लाल मिश्र, फैज़ाबाद में लल्लन जी और छोटा रामचंद्र का नेतृत्व प्राप्त हुआ।
पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर “अवध का किसान आंदोलन और विरासत का सवाल” विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जेएनयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. वीर भारत तलवार ने कहा कि वस्तुतः अवध का यह आंदोलन किसानों के अपने बीच से उपजा और आम खेतिहरों ने ही इसे ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

संगोष्ठी में पुस्तक की भूमिका के लेखक सुधीर विद्यार्थी ने हरदोई के एका आंदोलन के क्रांतिकारी पक्ष और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से उसके जुड़ते तंतुओं पर प्रकाश डाला।

दलित साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर बजरंग बिहारी तिवारी ने आंदोलन में दलित समाज की सहभागिता और उनकी भागीदारी पर विस्तार से चर्चा की।  प्रख्यात लेखक वीरेंद्र यादव ने पुस्तक की लेखन शैली को एक नए प्रयोग की संज्ञा दी और इसे समय की आवश्यकता करार दिया। संगोष्ठी को गोपाल प्रधान, शिवमूर्ति ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री श्याम सिंह शशि ने की। संचालन रामायन राम व धन्यवाद ज्ञापन प्रकाशक संजय जोशी ने किया।
कार्यक्रम के दौरान अवध के विभिन्न जिलों के किसान आंदोलनकारियों के परिजनों को सम्मानित भी किया गया। इसमें हरदोई से मदारी पासी व उनके सहयोगियों के परिजन, रायबरेली से अमोल शर्मा, माताबदल मौर्य, छोटू बख्श मुंशीगंज गोलीकांड में घायल दशरथ बनिया, मुंशी सत्य नारायण एवं उमराई देवी के परिजन; सुल्तानपुर से बाबा रामलाल एवं राम नरेश त्रिपाठी के पुत्र व उन्नाव से विशम्भर दयालु त्रिपाठी की पुत्री रश्मि दीक्षित आदि शामिल थे। एक शताब्दी पूर्व के आंदोलनकारियों के परिजनों का सम्मान देशज फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा किया गया।

(तस्वीर में पुस्तक का लोकार्पण करते प्रो. वीर भारत तलवार, पद्मश्री श्याम सिंह शशि, सुधीर विद्यार्थी, शिवमूर्ति, वीरेंद्र यादव, बजरंग बिहारी तिवारी, गोपाल प्रधान, आर.के पाल, संजय जोशी व प्रेम शंकर)

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