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नुक्कड़ नाटक ,कविता पाठ , पोस्टर प्रदर्शित कर बलात्कार के खिलाफ़ आवाज उठाई

वाराणसी। ऐपवा यंग गर्ल्स से जुड़ी लड़कियों ने रविदास गेट लंका पर नुक्कड़ नाटक , कविता पाठ , पोस्टर प्रदर्शित कर बलात्कार के खिलाफ़ आवाज उठाई। कार्यक्रम में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर ऐपवा यंग गर्ल्स ने कहा कि बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से वह भयभीत हैं और उनका मन पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है। वे परेशान हैं कि अपने ही देश में वह सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं। लड़कियों ने मांग की कि उनके भय को समाप्त कर राष्ट्रपति बलात्कारियों की रिहाई को रुकवाएंगी और कानून के मुताबिक कड़ी से कड़ी सजा की गारंटी करवाएंगी।

कार्यक्रम की शुरुआत  घरेलू कामगार बस्ती से ऐपवा लीडर सविता और सरस्वती ने गीत ‘ इसी जमाने में नारियों का झंडा ऊंचा उठाना है ‘ की प्रस्तुति से किया।

ऐपवा सहसचिव सुजाता भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक मौजूदा व्यवस्था में एक महिला के लिए न्याय मिलना की कठिनाई को दिखाता है। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि पीड़िता को पुलिस, वकील, मीडिया, राजनेता के जरिए भी न्याय नहीं मिलता।  अंततः महिला संगठन के जरिए महिलाओं को एकजुट करके संगठन बनाकर ही अपना और अपने देश की तमाम महिलाओं के लिए पीड़िता और उसकी मां को न्याय का रास्ता समझ आता है। नाटक में मुख्य भूमिका में धनशिला, नैना, प्रज्ञा मोहंती, सुतपा, सुजाता, सोनाली, करीना, तनीषा, रानी एवं ऐपवा यंग गर्ल्स की टीम के सदस्य शामिल रहे।

संचालन करते हुए ऐपवा जिला सचिव स्मिता ने कहा कि सरकार एक तरफ ‘ बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ ‘ के जोशीले नारे तो लगा रही है लेकिन महिला सुरक्षा केलिए कोई पुख्ता इंतजाम करने में फेल साबित होती जा रही है। सरकार बलात्कारियों को संरक्षण देकर उन्हें जेल से रिहा कर रही है। उन्होंने कहा की आईआईटी बीएचयू में हाल में हुई बलात्कार की घटना में बलात्कारियों को सात माह में ही जमानत मिल गई लेकिन पीड़िता को न्याय नहीं मिला।

ऐपवा प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा की समाज में जनता के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले लोग जेल में बंद है। जिनके अपराध भी सिद्ध नहीं हुए है उन्हे जमानत नहीं मिल पा रही है लेकिन जिनके ऊपर बलात्कार का आरोप कानूनी तौर पर सिद्ध हो चुका है वह जेल से रिहा कर दिए जा रहे हैं। आईआईटी बीएचयू के बलात्कारियों से लेकर रामरहीम आसाराम जैसे संतो को पैरोल पर रिहा किया जा रहा है। यह सरकार और भारतीय न्याय व्यवस्था के महिला विरोधी चेहरे को उजागर करती है जिसके लिए बलात्कार कोई अपराध नहीं है।

जन संस्कृति मंच के प्रो बलिराज पांडे ने ऐपवा आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा की जिस समाज में बलात्कारियों को फूल माला पहनाकर उनका स्वागत करने की संस्कृति पनप रहीं हो ऐसे समाज से महिला विरोधी पितृसत्तात्मक सोच को जड़ से समाप्त करने के लिए समाज के हर नागरिक को आगे आना होगा। साथ ही सरकार, न्याय व्यवस्था, पुलिस प्रशासन को भी जेंडर संवेदनशील बनना होगा।

संयुक्त किसान मोर्चे के नेता  राजेंद्र चौधरी ने कहा कि जब तक समाज की अंतिम औरत तक न्याय और आजादी नहीं पहुंचती तब तक हमारा हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

सांस्कृतिक कार्यकम में रूपाली ने भी बेखौफ आज़ादी गीत के प्रस्तुति दी। दिलखुश ने रमाशंकर विद्रोही की कविता ‘ मैं नहीं जानता लेकिन जो भी रही हो मेरी माँ रही होगी मेरी चिंता यह है कि भविष्य में वह आखिरी स्त्री कौन होगी जिसे सबसे अंत में जलाया जाएगा ‘ पढ़ी। सुतपा गुप्ता ने बांग्ला भाषा में मुक्तिरो मंदिरो शापानो तोले गीत की प्रस्तुति दी।

सोनाली ने पाश की इंकलाबी कविता ‘ हम लड़ेंगे साथी उदास मौसम के खिलाफ़ ‘ की प्रस्तुति दी। ऐपवा साथी डॉ नूर फात्मा की कविता ‘ नई उड़ान का पाठ ‘ ऐपवा यंग गर्ल्स की सचिव नैना द्वारा किया गया।

ऐपवा यंग गर्ल्स से लड़कियों ने भी कविता पाठ किया और अपने हाथो से बनाए पोस्टर प्रदर्शित किया जिसमें बलात्कार के खिलाफ़ और महिला विरोधी सोच पर चोट को विभिन्न रंगों से कलात्मक ढंग से प्रदर्शित किया गया था।

कार्यक्रम में ऐपवा जिला अध्यक्ष सुतपा गुप्ता, विभा वाही, उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर, प्रज्ञा मोहंती, प्रिया, छाया, प्रियांशी, मानसी, रानी ,खुशबू, करीना, नैना , तनीषा , सविता, शीला, सरस्वती, सोनी के अतिरिक्त आइसा बीएचयू की छात्रा सोनाली और छात्र दिलखुश, अवधेश पटेल आदि शामिल थे। धन्यवाद ज्ञापन सुजाता भट्टाचार्य ने दिया।

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