नई दिल्ली। जाने माने लेखक और प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष अली जावेद का कल रात जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। अली जावेद को 12 अगस्त को ब्रेन हैमरेज होने पर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहाँ उनका ऑपेरेशन हुआ लेकिन हालात में सुधार नहीं होने पर पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
68 वर्षीय अली जावेद का जन्म 31 दिसम्बर 1954 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद जेएनयू से उर्दू में एमए और पीएचडी की। इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में शिक्षक हो गए। वे 2019 में रिटायर हुए। उनकी किताबों में ‘बरतानवी मुस्तश्रिक़ीन और तारीख़-ए अदब-ए उर्दू’, ‘क्लासिकीयत और रूमानवीयत’, ‘जाफ़र जटल्ली की एहतेजाजी शाइरी’ बहुत मशहूर हुई। वे प्रगतिशील लेखक संघ महासचिव और बाद में कार्यकारी अध्यक्ष रहे। वर्ष 2012 से 2016 तक वे अफ्रीकन एण्ड एशियन राइटर्स यूनियन के भी अध्यक्ष रहे।
जनवादी लेखक संघ ने अली जावेद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इस कठिन समय में उनका जाना तरक़्क़ीपसंद-जम्हूरियतपसंद तहरीक के लिए एक सदमा है। यह सांप्रदायिक फ़ासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष में उनकी अथक सक्रियता का दौर था जिसके बीच में ही वे हमें छोड़ गए।
प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तर प्रदेश के महासचिव संजय श्रीवास्तव ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि जावेद साहब हरदिल अज़ीज़ शख़्स थे। वे उच्च कोटि के अंतरराष्ट्रीय विद्वान और बेहद कुशल वक्ता थे। उर्दू के साथ ही हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में भी उनका गहन अध्ययन था। डा.जावेद की अदबी शख्सियत में एक ख़ास तरह का एक्टिविज़्म था। अंधेरगर्दी के खिलाफ लड़ना उनका मिजाज़ था। वे सही मायने में इंकलाबी थे। उनका जाना प्रगतिशील आंदोलन के लिए बहुत बड़ा नुक़सान है,जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी।
अली जावेद के निधन पर प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, दलित लेखक संघ, एनएसआई, इप्टा, प्रतिरोध का सिनेमा, संगवारी, अभादलम की ओर से दो सितम्बर को शाम 5 बजे से ऑनलाइन शोक सभा का आयोजन किया गया है।