बेगूसराय। लूट-झूठ,नफरत,साम्प्रदायिक उन्माद और फासीवादी बर्बरता के इस दौर में जन संस्कृति मंच की बिहार इकाई ने आजादी के 75 वें वर्ष पर सत्ता संपोषित फासिस्ट संस्कृति के बरक्स संविधान, जनवादी मूल्यों एवं प्रतिरोध की जनसंस्कृति के लिए 15 अगस्त से ‘ उठो मेरे देश ’ उनवान के साथ पूरे बिहार में सांस्कृतिक अभियान की शुरुआत की। प्रथम चरण मंे यह सांस्कृतिक यात्रा तीसरे दिन भोजपुर, पटना से होते हुए 18 अगस्त को बेगूसराय पहुंची। सांस्कृतिक यात्रा में शामिल कलाकारों और रंगकर्मियों ने बेगुसराय के बलिया नौला गांव तथा शहर के दिनकर कला भवन के मुख्य द्वार पर नुक्कड़ सभा कर जनगीत, नाटक प्रस्तुत किए।
यात्रा के तीसरे दिन पहला कार्यक्रम बलिया के गांव के नुक्कड़ पर आयोजित किया गया। इस मौके पर सीपीआई एम एल के जिला सचिव दिवाकर प्रसाद ने कहा कि हालिया दिनों में बिहार की सियासत ने साम्प्रदायिक ताकतों को शिकस्त दे कर एक राष्ट्रव्यापी संदेश दिया है। जसम बिहार की यह सांस्कृतिक यात्रा एक नई साझी संस्कृति का निर्माण करेगी। वरिष्ठ नेता नूर आलम ने कहा कि आज देश में अमन खत्म करने की साजिश चल रही है। इसके खिलाफ हम आवाज उठाते रहेगे। जत्था का नेतृत्व कर रहे एक्टिविस्ट गालिब खान ने कहा कि हमें महिलाओ को तालीम देने और सुरक्षा देेने की जरुरत है।
बेगूसराय दिनकर कला भवन मुख्य द्वार पर बेगूसराय के रंगकर्मियों के बीच कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ चिकित्सक, समाजसेवी व संस्कृतिप्रेमी डॉ. एस पंडित ने कहा कि बिहार के संस्कृतिकर्मी हमेशा से प्रतिरोध की संस्कृति की अगुआई करते रहे हैं। नफरत, जुल्म और दलितों, गरीब – गुरबों पर हो रहे हमले ने आजादी के सही मायने को समझने को विवश किया है। जसम के इस कार्यक्रम को हम सेल्यूट करते हैं। जसम जिला अध्यक्ष सह राज्य उपाध्यक्ष रंगकर्मी विजय कुमार सिन्हा ने सभी रंगकर्मी, कलाकारों और बुद्धिजीवियों को नफरत और भय के खिलाफ एक मंच पर आने की बात की। कार्यक्रम को सफल बनाने में जसम के रंगनायक के साथी विजय कृष्ण, राज कुमार सिन्हा, अवधेश पासवान, यथार्थ सिन्हा, राजेश आदि ने विशेष सहयोग किया।
कलाकारों को रंगनायक द लेफ्ट थियेटर के द्वारा अंगवस्त्र तथा पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। रंगस्थल को सीताराम द्वारा कविताओं के पोस्टर से सजाया गया गया था जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
दिनकर कला भवन में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एस. पंडित, चित्रकार सीताराम , एक्टिविस्ट गालिब, जन कवि निर्मोही द्वारा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया।
नौला में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसान नेता बैजू सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में सबसे ज्यादा आत्महत्या किसानों ने की हुई है और प्रतिरोध की सबसे बड़ी ताकत बनकर भी किसान ही राष्ट्रीय पटल पर आये हैं। राज्य उपाध्यक्ष प्रमोद यादव ने कहा कि जसम की यह सांस्कृतिक यात्रा जनसंवाद का एक सशक्त माध्यम बनेगी। यह भूख, गरीबी, बेरोजगारी और नफरत के खिलाफ उठो मेरे देश के नारे के साथ राज्यव्यापी सांस्कृतिक-यात्रा है।
सांस्कृतिक जत्था ने दोनों स्थानों पर 1857 विद्रोह के नायक अजीमुल्ला खां द्वारा रचित “हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा” गीत की प्रस्तुति की। इस अवसर पर नाटक ’ उठो मेरे देश ’ की प्रस्तुति की गई। यह नाटक दीपक सिन्हा ने लिखा है। नाटक का निर्देशनयुवा रंगकर्मी राजु कुमार रंजन ने किया। नाटक में मनोज कुमार, कोमल कुमारी, अभय, संजय, दिलीप व आकाश ने अभिनय किया।
इस मौके पर ननकु पासवान, प्रमोद कुमार यादव, पुनीत, राजू रंजन, कृष्ण कुमार निर्मोही ने जनगीत गाये। संगीत सहयोग विजय कृष्ण पप्पू और लालजी ने किया।