नई दिल्ली। देश के दस लेखक -कलाकर संगठनों ने लखीमपुर में किसानों की हत्या की तीव्र भर्त्सना करते हुए इसकी निष्पक्ष जाँच कराने, गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त करने और मंत्री-पुत्र को तत्काल गिरफ्ताऱ करने की मांग की है।
प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, दलित लेखक संघ, अभादलम, न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव, इप्टा, जन नाट्य मंच, संगवारी और प्रतिरोध का सिनेमा द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि 2014 (और विशेषकर 2019) के बाद सत्ता-प्रायोजित अथवा सत्ता-संरक्षित ऐसी घटनाओं की सुनामी-सी आ गई है, जिन्हें बर्बर और अमानवीय कहना अपर्याप्त है। कठुवा और हाथरस जैसे बलात्कार-काण्ड, असम में एक अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति की हत्या करने के बाद उसकी लाश पर पैशाचिक नृत्य और अब लखीमपुर खीरी की घटना……। कहना अनावश्यक है कि बर्बरता, वहशीपन, दरिंदगी, अमानवीयता जैसे शब्द इन घटनाओं की भयावहता को व्यंजित करने में असमर्थ हैं। क्या ऐसी घटनाओं का सिलसिला कभी रुकेगा ?
प्राप्त खबर के अनुसार 3 अक्तूबर को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों को अपने वाहन से रौंदकर मार डाला। इस नृशंस हत्याकांड के बाद उपजे जन आक्रोश में आरोपियों के कुछ साथियों के मारे जाने की भी अपुष्ट ख़बर है। गृह राज्यमंत्री का सम्पूर्णनगर में दिया हुआ एक भाषण भी वायरल हो रहा है, जिसमें वे किसानों से कह रहे हैं कि सुधर जाओ, नहीं तो सुधार देंगे। इसी प्रकार हरियाणा के मुख्यमंत्री का भी एक बयान वायरल हो रहा है कि आंदोलनकारी किसानों को सबक सिखाने के लिए सत्ता-समर्थक किसान लाठी लेकर निकल पड़ें। क्या आवारा वैश्विक पूँजी और फासिस्ट सत्ता का गठजोड़ अब देश को भीषण और बर्बर गृहयुद्ध में धकेलने की तैयारी कर रहा है? इतना ही नहीं ‘एक तो चोरी उलटे सीनाजोरी’ वाली कहावत की तरह दलाल मीडिया उलटे किसानों को बदनाम करने पर ही तुला हुआ है।
हम लेखक-कलाकार लखीमपुर खीरी की घटना की तीव्र भर्त्सना करते हुए इसकी निष्पक्ष जाँच की माँग करते हैं। साथ ही हम यह भी माँग करते हैं कि गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त करके आरोपी मंत्री-पुत्र को तत्काल गिरफ्ताऱ जाए और सभी संलिप्त अपराधियों को उचित दण्ड मिले।