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कोई दिया तो जला दो ज़रा उजाला हो

कौशल किशोर 

आज़मगढ़, 21मई, 2023

जितेन्द्र कुमार ‘नूर’ के ग़ज़ल संग्रह ‘यादों के बहाने’ का लोकार्पण शहर के ठण्डी सड़क स्थित गरुण होटल के सभागार में हुआ।

‘यादों के बहाने’ युवा कवि जितेंद्र कुमार ‘नूर’ का पहला ग़ज़ल संग्रह है। इन ग़ज़लों का संकलन आसी यूसुफ़पुरी ने किया है। जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की आज़मगढ़ में हुई बैठक में इस ग़ज़ल संग्रह को जारी किया गया।

इसे जारी करने वालों में भगवान स्वरूप कटियार, कौशल किशोर, जयप्रकाश नारायण, रूपम मिश्र, मनोज कुमार सिंह, रामजी राय, रामनरेश राम और हेमंत कुमार थे।

इस मौके पर जितेन्द्र कुमार ‘नूर’ ने अपने संग्रह से कुछ ग़ज़लें भी सुनाईं। इनमें आम आदमी का दुख दर्द है। इसे वे कुछ यूं बयां करते हैं

‘मुझे दबाने लगा है ये मुफलिसी का पहाड़/बहुत कठिन है उठाना ये जिंदगी का पहाड़’।

जितेंद्र को खामोश रहना पसंद नहीं। इसीलिए वे रोशनी की बात करते हैं, उजाले की बात करते हैं और कहते हैं

‘कोई दिया तो जला दो ज़रा उजाला हो/ बहुत डराने लगा है यह तीरगी का पहाड़’।

एक दूसरी ग़ज़ल में वे कहते हैं

‘ज़िंदगी की तल्ख़ सी दुश्वारियां में खो गए/ ख्वाब सारे वक्त की लाचारियों में खो गये’।

नूर के अन्दर बदलाव की चाहत है। वे जानते हैं कि यह नयी पीढ़ी से ही संभव है। इसलिए अपनी उम्मीद को उन्हीं पर केंद्रित करते हैं

‘नए पौधों को पानी दे रहा हूं/ मैं इनको रंग धानी दे रहा हूं/ लहक जाए जड़ों से ये तनों तक/ इन्हें वो रुत सुहानी दे रहा हूं’।

‘यादों के बहाने’ जितेंद्र कुमार ‘नूर’ का पहला ग़ज़ल संग्रह है जो अंजुमन प्रकाशन, प्रयागराज से इसी साल छपकर आया है। इसमें 115 गजलें संकलित हैं जो तरह-तरह के मिजाज और रंग की हैं।

उनके बारे में जनाब आबिद सलेमपुरी साहब कहते हैं,  कि ‘नूर की शायरी उनकी जिंदगी का आईना है। इसमें एक तरफ तो तफ़रीह का सामान मुहैया कराती है तो दूसरी तरफ समाज को एक सृजनात्मक संदेश भी देती है।

जुल्म के खिलाफ आवाज़, पिछड़ों-गरीबों का शोषण, सामाजिक ऊंच-नीच और देश के मौजूदा माहौल में फैली हुई बेचैनियां आदि इनकी शायरी के मूल भाव हैं। इनके काव्य में सौन्दर्य पक्ष जितना मजबूत है उतना ही कला पक्ष भी सुदृढ़ है।

गौरतलब है कि जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की बैठक आजमगढ़ के गरुड़ होटल में 21 मई को आयोजित थी। इसके विचार के मुद्दों में ‘उत्तर प्रदेश में फासीवाद विरोधी सांस्कृतिक अभियान’ तथा आगामी राज्य सम्मेलन की तैयारी प्रमुख थे।

इस बैठक में शामिल अन्य रचनाकारों रमेश कुमार मौर्य, दुर्गा सिंह, रामायन राम, डीपी सोनी, के के पांडे, कल्पनाथ यादव, प्रेम शंकर, अंशुमान कुशवाहा, यमुना प्रजापति आदि ने भी युवा कवि जितेंद्र कुमार ‘नूर’ को उनके पहले ग़ज़ल संग्रह के लिए शुभकामनाएं दीं।

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