समकालीन जनमत

Author : राम पुनियानी

39 Posts - 0 Comments
जनमतज़ेर-ए-बहस

हाउडी मोदीः भारत की समस्याओं से किनारा करने की कोशिश

राम पुनियानी
नरेन्द्र मोदी ने अमरीका के ह्यूस्टन में डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति में जबरदस्त नौटंकी की। वहां मौजूद लगभग पचास हजार लोगों ने दोनों नेताओं के...
ज़ेर-ए-बहस

अनुच्छेद 370: प्रचार बनाम सच

राम पुनियानी
  अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के भाजपा सरकार के निर्णय को सही ठहराने के लिए एक प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। अनुच्छेद 370...
ज़ेर-ए-बहस

धार्मिक राष्ट्रवादः नायक और विचारधारा

राम पुनियानी
  समावेशी बहुवाद पर आधारित वह राष्ट्रवाद, जो भारत के स्वाधीनता संग्राम की आत्मा था, आज खतरे में है. इसका कारण है संघ परिवार की...
ज़ेर-ए-बहस

भारतीय राजनीति की बिसात पर गौमाता

राम पुनियानी
भाजपा और उसके सहयात्रियों के हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के एजेंडे में गाय का महत्वपूर्ण स्थान है. माब लिंचिंग इसका एकमात्र परिणाम नहीं है. लिंचिंग...
ज़ेर-ए-बहस

टीपू सुल्तानः नायक या खलनायक ?

राम पुनियानी
  हाल में कर्नाटक में दलबदल और विधायकों की खरीद-फरोख्त का खुला खेल हुआ जिसके फलस्वरूप, कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई और भाजपा ने राज्य में...
जनमतज़ेर-ए-बहस

मिया काव्यः चक्रव्यूह में फंसे समुदाय की आवाज़

राम पुनियानी
  गत 10 जुलाई 2019 को दस असमिया कवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमें से अधिकांश मुसलमान हैं और उस साहित्यिक धारा के...
जनमत

पाठ्यपुस्तकों में आरएसएसः राष्ट्र और राष्ट्र निर्माण की विरोधाभासी अवधारणाएँ

राम पुनियानी
  राष्ट्रवाद एक बार फिर राष्ट्रीय विमर्श के केन्द्र में है. पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा कि किस तरह सरकार के आलोचकों को राष्ट्रद्रोही...
जनमतज़ेर-ए-बहस

तबरेज़ अंसारी, जय श्रीराम और नफ़रत-जनित हत्याएँ

राम पुनियानी
संयुक्त राष्ट्रसंघ मानवाधिकार परिषद् की 17वीं बैठक में, भारत में मुसलमानों और दलितों के विरुद्ध नफरत-जनित अपराधों और मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाया गया। यद्यपि प्रधानमंत्री मोदी...
ज़ेर-ए-बहस

धर्मनिरपेक्षता, प्रजातान्त्रिक समाज और अल्पसंख्यक अधिकार

राम पुनियानी
हम एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जब सामाजिक मानकों और संवैधानिक मूल्यों का बार-बार और लगातार उल्लंघन हो रहा है. पिछले कुछ वर्षों...
ज़ेर-ए-बहस

क्या मोदी ‘सबका विश्वास’ जीत सकते हैं? क्या उन्होंने ‘सबको साथ’ लिया है, ‘सबका विकास’ किया है?

राम पुनियानी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सन 2014 के आम चुनाव में अपनी जीत के बाद, ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा दिया था. अब उन्होंने इस...
ज़ेर-ए-बहस

क्या नरेन्द्र मोदी देश के डिवाईडर इन चीफ़ हैं?

राम पुनियानी
टाइम दुनिया की सबसे प्रभावशाली पत्रिकाओं में से एक है. इस पत्रिका ने अपने ताजे अंक (मई, 2019) के मुखपृष्ठ पर मोदी के पोर्ट्रेट को...
ज़ेर-ए-बहस

प्रज्ञा ठाकुर चुनाव में : भविष्य का संकेत

राम पुनियानी
राम पुनियानी सन 2019 के आम चुनाव में शासक दल भाजपा द्वारा निहायत संकीर्ण और सांप्रदायिक मुद्दे उछाले जा रहे हैं. नागरिकता विधेयक, कब्रिस्तान, वंदेमातरम्,...
जनमतज़ेर-ए-बहस

गांधी और आरएसएसः विरोधाभासी राष्ट्रवाद

राम पुनियानी
राम पुनियानी आरएसएस लगातार यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है कि महात्मा गांधी, संघ को सम्मान की दृष्टि से देखते थे। इसी संदर्भ...
जनमत

नेहरू ने कितना परेशान किया मोदीजी को !

राम पुनियानी
भाजपा ने हाल में लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। सरसरी निगाह से देखने पर ही इस दस्तावेज के बारे में दो बातें...
जनमत

नसीरूद्दीन शाह को गुस्सा क्यों आता है ?

राम पुनियानी
किसी भी प्रजातांत्रिक समाज के स्वस्थ होने का एक महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसमें अल्पसंख्यक स्वयं को कितना सुरक्षित महसूस करते हैं। उतना ही...
ज़ेर-ए-बहस

संगीत की स्वर लहरियों को चुप करने की राजनीति

राम पुनियानी
राम पुनियानी किताबों पर प्रतिबन्ध की मांग और पाकिस्तानी क्रिकेट टीम और वहां के गायकों का विरोध भारत में आम हैं. सैटेनिक वर्सेज को प्रतिबंधित...
जनमत

कहानी दो फैसलों की : आसिया बीबी और सबरीमाला

राम पुनियानी
आज दोनों पड़ोसी देशों में कई मामलों मे एक-से हालात हैं। कुछ दशक पहले तक भारत का चरित्र अपेक्षाकृत लोकतांत्रिक, उदार एवं धर्मनिरपेक्ष था किंतु...
ज़ेर-ए-बहस

नेताजी बोस, नेहरू और उपनिवेश विरोधी संघर्ष

राम पुनियानी
यदि आधुनिक भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र है तो उसमें देश में चले उपनिवेश विरोधी संघर्ष का प्रमुख योगदान है। विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं वाले...
जनमत

सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश

राम पुनियानी
यह सही है कि पितृसत्तात्मकता सभी संस्थागत धर्मों का अविभाज्य हिस्सा है। मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश का आंदोलन इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था पर चोट कर...
Fearlessly expressing peoples opinion