पटना. ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर आशा-मध्यान्ह भोजन रसोईया-आंगनबाड़ी कर्मियों सहित अन्य स्कीम वर्करों का ऐक्टू के न्याय अभियान के तहत देशव्यापी माँग प्रचार सप्ताह अभियान 10 जून से जारी है । इसके तहत पूरे राज्य में जगह-जगह कार्यस्थलों-कार्यालयों के समक्ष इकट्ठा होकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन, नारेबाजी, पोस्टर प्रदर्शनी संचालित किया जा रहा है.
ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन से सम्बद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्त्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) के बैनर तले पूरे राज्य में खासकर भभुआ, रोहतास, पटना ,जहानाबाद, नालंदा, सुपौल, खगड़िया,समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, गोपालगंज, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, प.चंपारण, मुंगेर आदि जिलों सहित पटना जिला के रेफ़रल अस्पताल नौबतपुर, बिक्रम, रोहतास के तिलौथू, अकोढ़ीगोला; कैमूर के रामपुर चांद, मोहनियाँ, मुंगेर सदर, सुपौल सदर, ख़गड़िया सदर, मोतिहारी, बेतिया इत्यादि जगहों पर प्रदर्शन व नारेबाजी, अधिकारियों को माँग-पत्र का ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम चलाया गया जो 17 जून तक जारी रहेगा।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से माँग की गई कि आशाओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल के क्रम में तय और निर्गत सरकारी संकल्प संखया 6 आ 789, दिनांक 9 अगस्त,19 के आलोक में अप्रैल 19 से देय प्रतिमाह 1000 रु मासिक पारितोषिक राशि का बकाया सहित तुरंत अपटूडेट भुगतान किया जाए, अन्य कार्यों के लिए तय प्रोत्साहन राशि का बकाया सहित अद्यतन व पारदर्शी रूप से भुगतान किया जाए, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों (संविदा सहित) की तरह आशा कार्यकर्त्ताओं को भी कोरोना रोकथाम-गृह सर्वे आदि काम के लिए एक माह के औसत प्रोत्साहन राशि के समतुल्य कोरोना प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने, भुगतान में स्थानीय स्तरों पर जारी घूसखोरी-कमीशनखोरी पर रोक लगाया जाए और ऐसे लोगों को दंडित किया जाए.
बिहार राज्य आशा कार्यकर्त्ता संघ (ऐक्टू) की राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने बताया कि इस आन्दोलन में केंद्र सरकार से स्कीम वर्करों का बकाया प्रोत्साहन राशि/मानदेय का भुगतान करने, कोविड–19 कार्य में लगे सभी सभी स्कीम वर्करों को व्यक्तिगत सुरक्षा सामग्री (पीपीई किट) आपूर्ति की गारंटी करने, सभी स्कीम वर्करों को 6 माह तक 10 हजार कोरोना-लॉकडाउन प्रोत्साहन राशि भुगतान करने, कोविड-19 रोकथाम कार्य में लगे सभी स्कीम वर्करों का 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू करने, सभी स्कीम वर्करों को को सरकारी सेवक का दर्जा देने और समान वेतन का भुगतान करने की मांग की जा रही है.