लखनऊ. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की लापरवाही की वजह से प्रवासी मजदूरों की बदहाल स्थिति, उनकी दर्दनाक मौतों और योगी सरकार द्वारा तीन साल के लिए श्रम कानूनों के स्थगित करने के मजदूरी विरोधी फैसले के खिलाफ ऐपवा ने रविवार को पूरे प्रदेश में विरोध किया.
शारीरिक दूरी बनाकर और सोशल मीडिया में अपनी तस्वीरों के साथ ऐपवा ने आज प्रदेश भर में योगी सरकार के खिलाफ पूरे आक्रोश के साथ अपना विरोध दर्ज कराया. यह विरोध, लखीमपुर, पीलीभीत, मथुरा सीतापुर, बनारस, देवरिया, चंदौली, सोनभद्र, भदोही गाजीपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, गोरखपुर में आयोजित हुआ.
ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि हाल में औरैया व आगरा के दर्दनाक हादसे में हुई प्रवासी मजदूरों की मौत पर ऐपवा गहरा शोक प्रकट करती है और उनके परिवारजनों के साथ संवेदना व्यक्त करती है. इस इन मौतों के लिए इसके सीधे तौर पर योगी सरकार को जिम्मेदार मानती हैं. ऐपवा मांग करती है कि मृतकों के परिवारजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और घायलों का उच्च मेडिकल उपचार हो.
ऐपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि कोरोना महामहारी के इस दौर में जब जनता शारीरिक दूरी सहित अन्य नियमों का पालन कर रही है, ठीक इसी दौर में सरकारें जनता के अधिकारों को छीनने का काम कर रही हैं. इसका ताजा उदाहरण है यूपी की योगी सरकार द्वारा श्रम क़ानूनों में भारी बदलाव , ट्रेड यूनियन के अधिकारों का हनन, महिला श्रमिकों को।मिलने वाली तमाम सुविधाओं में भारी कटौती और उनके छंटनी .
ऐपवा उपाध्यक्ष आरती राय ने कहा कि महामारी के कारण अमानवीय स्थिति में घर लौट रहे प्रवासी मजदूर उनके परिवार जिसमें गर्भवती महिलाएं तक शामिल हैं के प्रति योगी सरकार की असंवेदनशीलता घोर निंदनीय है.
ऐपवा सहसचिव गीता पांडेय ने कहा कि सम्मानजनक रोज़गार की गारंटी के बजाय अधिक मुनाफा कमाने के लिए शराब की दुकानों को खोलकर महिलाओं पर होने वाली हिंसा को योगी सरकार ने और भी अधिक बढ़ा दिया है.
विरोध प्रदर्शन के जरिये ऐपवा ने घर वापसी के दौरान मजदूरों की मौत पर प्रत्येक मृतक परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा देने, श्रम कानूनों के तीन साल तक स्थगित किये जाने का अध्यादेश वापस लेने, प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों को समुचित भोजन के साथ तत्काल सुरक्षित घर वापसी कराने की व्यवस्था करने, प्रति व्यक्ति 15 किलो के हिसाब से हर मजदूर परिवार को आगामी 6 माह तक राशन की गारण्टी करने, प्रत्येक मजदूर परिवार को दस हजार रुपये प्रति माह लाकडाउन भत्ता देने, रोजगार के इच्छुक हर मजदूर को मनरेगा में काम देने , मनरेगा मजदूरी 500 रुपये करने, मनरेगा में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण की गारंटी करने, शराब की दुकानें को घनी बस्तियों से हटाने, शराब के कारण महिलाओं पर हो रही घरेलू हिंसा पर तत्काल रोक लगाने, महामारी से निपटने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन, मास्क, सेनेटाइजर का वितरण कराने, कोविड-19 से लड़ने के लिए हर गली-मोहल्ले में सरकारी खर्च पर मुफ्त जांच प्रकिया को तेज करने, पंचायत स्तर तक मेडिकल टास्क फोर्स का गठन करने की मांग उठाई.