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प्रदेश में जंगल राज के खिलाफ लखनऊ में जन संगठनों, नागरिक समाज का विरोध मार्च-सभा

25जुलाई, लखनऊ 

भय मुक्त प्रदेश का नारा देकर सत्ता में आई योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को हिंसा का प्रदेश बना दिया है । उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था (ला ऐंड ऑर्डर) पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी है ।

इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले छह महीने में प्रदेश में बच्चियों के साथ बलात्कार के 3,457 मामले दर्ज हुए हैं । इन आंकड़ों के मुताबिक बच्चियों पर हिंसा के मामले में प्रदेश अव्वल हैं।

इसी तरह अनुसूचित जाति / जनजाति की महिलाओं के खिलाफ बढ़ते हिंसा के मामले भी चिंतित करते हैं । हाल ही में सोनभद्र जिले में 10 आदिवासियों, जिसमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं, की भूमाफियाओं के द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई । इस घटना ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद दिला दिया है ।

पूरे प्रदेश की घटनाओं को लेकर 24 जुलाई को लखनऊ में प्रतिरोध मार्च किया गया जिसमें हाल में सोनभद्र में आदिवासियों पर हुए हमले के खिलाफ वक्ताओं ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया और आरोप लगाया कि कोई भी पैंतरेबाज़ी और बहानेबाज़ी करके योगी सरकार आदिवासी किसानों के इस जनसंहार की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती । वक्ताओं ने जिम्मेदार अधिकारी-भूमाफिया गिरोह को कठोर दंड देने तथा पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की ।

वक्ताओं ने मांग किया कि वहां जमीनों का मालिकाना हक आदिवासी-दलित किसानों को सौंपा जाय, हर हाल में उनकी बेदखली रोकी जाय और जमीनों का विनियमितीकरण किया जाय।

प्रमुख लोगों में रमेश दीक्षित , संदीप पांडेय , रूपरेखा वर्मा, वंदना मिश्रा , राकेश वेदा, मीना सिंह, अजय सिंह , किरण सिंह, नाइस हसन, अरुधंति धुरु, राजीव यादव व कौशल किशोर आदि लोग उपस्थित थे।

प्रदर्शन में एपवा, एडवा, महिला फेडरेशन,साझी दुनिया, जागरूक नागरिक मंच, आली, एन ए पी एम राहुल फाउंडेशन आदि संगठन शामिल थे ।

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