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भोजपुर में 35 घंटे तक सड़क व बालू घाट जाम के बाद प्रशासन ने बालू मजदूरों की मांग मानी

 

बिहार के भोजपुर में बालू घाट पर सभी बालू मजदूरों को काम देने, बालू घाट से जेसीबी मशीन हटाने, सभी अवैध बालू घाट बंद करने, बालू घाट पर मजदूरों को सुरक्षा का प्रबंध करने, दुर्घटना होने पर कानून के तहत मुआवजा देने सहित कई मांगों को ले कर चल रहे अनिश्चितकालीन सड़क व बालू घाट जाम 35 घंटे बाद प्रशासन द्वारा सभी प्रमुख मांगों को मने जाने के बाद समाप्त हो गया. प्रशासन ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक मजदूरों से ही बालू उठाने, मजदूरी 80 रुपया से बढ़ा कर 250 रुपया करने , अवैध बालू घाट बंद करने  और मजदूरों को पहचानपत्र जारी करने की मांग मान ली.

भाकपा – माले व खेग्रामस के नेतृत्व में से चल रहे बालू मजदूरों का आंदोलन में भाजपा – जदयू सरकार की मजदूरों के प्रति संवेदनहीनता, साफ दिखाई दी. बालू मजदूर अपने काम के अधिकार , जीवन यापन के लिए इस ठंड कर मौसम में पिछले 35 घंटों से सड़कों पर जमे थे लेकिन सरकार के अधिकारी उनके माँगों को नही मानने, कुछ वार्ता की औपचारिकता पूरी कर कान में तेल डालकर सो गए.

सरकार के इस कदम ने मजदूरों की एकता में ऊर्जा भरने का काम किया और आंदोलन को आगे बढ़ते हुए भाकपा – माले और मजदूरों ने तत्काल सहार – अरवल पुल जो स्टेट हाईवे सोन नद पर स्थित है, को जाम करने और अगले दिन पूरा भोजपुर का चक्का जाम करने की घोषणा कर दी. इस घोषणा के एक घंटे के अंदर जिला खनन निदेशक विजय कुमार सिंह , अशोक कुमार चौधरी सीईओ सहार, मनीष कुमार बीडीओ सहार वार्ता के लिए पहुंचे. अधिकारियों व आंदोलनकारियों के बीच सूर्योदय से सूर्यास्त तक मजदूरों से बालू उठाने, मजदूरी में वृद्धि जो पहले 80 रुपया मिलता था अब 250 रुपया करने , अवैध बालू घाट बंद करने , मजदूरों को पहचानपत्र जारी करने सहित कई प्रमुख मांगों पर लिखित समझौता हुआ. इसके बाद  जाम की समाप्ति की घोषणा की गई.

आन्दोलन की सफलता से मजदूरों में खुशी का लहर देखने को मिली और मजदूरों ने भाकपा-माले , खेग्रामस के प्रति आभार व्यक्त किया.

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