अधिवक्ता मंच इलाहाबाद की अगुवाई में आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय के अधिवक्ताओं ने हाई कोर्ट के सामने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष इकट्ठा होकर जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।
इस दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फरहान अहमद नकवी ने कहा की संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी लोकतंत्र का अहम अधिकार है और उसमें न्यायपालिका की स्वच्छ आलोचना निहित है। अतः दो ट्वीट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर प्रशांत भूषण को अवमानना के लिए दोषी करार देना संविधान के खिलाफ है और अभिव्यक्ति की आजादी का दामन है। उन्होंने कहा न्यायालय का सम्मान उसके न्याय निर्णय और संविधानिक मानकों को स्थापित करने से होता है। किसी के ट्वीट करने से न्यायालय का सम्मान खत्म नहीं होता यदि वह अपना काम जिम्मेदारी से करता हो।
सभा को संबोधित करते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अधिवक्ता रजनी कांत राय ने कहा की न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच कराई जानी चाहिए ना कि इस संबंध में उसकी आवाजों को अवमानना के नाम पर दबा दिया जाना चाहिए।
सभा को संबोधित करते हुए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी सदस्य अधिवक्ता हया रिजवी ने कहा की हम सभी अधिवक्ता अपनी आवाज वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की आवाज के साथ मिलाते हैं और न्यायपालिका की गरिमा और पारदर्शिता बहाल करने के संघर्ष में उनके साथ हैं ।
सभा को करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नाथूराम बौद्ध ने कहा जबकि उच्चतम न्यायालय के समक्ष बहुत महत्वपूर्ण मुकदमा न्याय निर्णयन के लिए लंबे समय से लंबित हैं जिनमें बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है नागरिकता संशोधन कानून सहित तमाम महत्वपूर्ण मामले सुनवाई पर नहीं आ रहे हैं ऐसे में स्वत: संज्ञान लेकर ट्वीट के आधार पर त्वरित सुनवाई करते हुए प्रशांत भूषण को अवमानना के लिए दोषी करार देना न्यायिक प्रक्रिया को संदिग्ध बनाता है।
सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केके राय ने कहा कि न्यायपालिका पर पूरे देश भर से सवाल उठ रहे हैं और न्यायपालिका सरकार के सामने अपनी जिम्मेदारी दृढ़ता के साथ निर्वाह करने में कमजोर होती दिख रही है। ऐसे में उठते सवालों को बंद करने के लिए प्रशांत भूषण को अवमानना के लिए दोषी करार देना वास्तव में अधिवक्ताओं के असंतोष और उनकी आवाजों को दबा देना है। यह यहीं पर नहीं रुकने वाला। हर सकारात्मक आलोचना अब अवमानना के नाम पर प्रतिबंधित कर दी जाएगी और इस प्रकार लोकतंत्र संविधान और अभिव्यक्ति की आजादी सब कुछ दांव पर लगा दिया जाएगा।
सभा को संबोधित करते हुए सभा के अध्यक्ष और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जमील अहमद आज़मी ने प्रशांत भूषण के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए आह्वान किया कि सभी अधिवक्ताओं लोकतंत्र प्रेमियों को प्रशांत भूषण के साथ खड़ा होना चाहिए। इस समय यही देश को , संविधान को बचाने की जिम्मेदारी है।
सभा को पूर्व कार्यकारिणी सदस्य हाईकोर्ट बार एसोसिएशन कपिल यादव राजीव कुमार इक़्तेदार बादशाह,एमपी पाल, धर्मेंद्र यादव एन. के. यादव आदि ने संबोधित किया। सभा का संचालन आधिवक्ता मंच के संयोजक राजवेन्द्र सिंह ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत के पूर्व अध्यक्ष जमील अहमद आज़मी, वरिष्ठ आधिवक्ता सैयद फरमान अहमद नकवी और हाई कोर्ट बार के उपाध्यक्ष रजनीकांत राय ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
इस दौरान मो0 शान, इब्ने अहमद, फैसल अकरम, सतवेन्द्र आज़ाद, घनश्याम मौर्य, कुंवर नौशाद, असद हामिद, शमशुल इस्लाम, रामकुमार गौतम, जैनेंद्र बघेल, जर्रार खान, एजाज खान, सीमा आज़ाद, विश्व विजय, मो0 आसिफ़, बुध प्रकाश, उपेंद्र पुष्कर, कमरुल अशफ़ाक़,सुनील कुशवाहा, सुनील कुमार, वैरिस्टर सिंह, जटाशंकर, काशान सिद्दीक़ी रामचंद्र सोलंकी, राखी सहित सैकड़ों अधिवक्तागण व जाने माने कवि अंशु मालवीय, सामाजिक कार्यकर्ता शाह आलम, सुनील मौर्य, सुभाष यादव आदि उपस्थित उपस्थित रहे।