लोक स्वातंत्र्य संगठन ( पीयूसीएल) उत्तर प्रदेश ने लखीमपुर खीरी में किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर मंत्री और पुलिस की मौजूदगी में गाड़ी चढ़ा कर हत्या किए जाने फिर गोली चलाने की घटना की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है।
पीयूसीएल उत्तर प्रदेश के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फ़रमान नक़वी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के लखीमपुर दौरे के समय किसान शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे। यह प्रदर्शन इसलिए था क्योंकि कृषि राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी अपने 25 सितंबर को दिए भाषण में किसानों को सबक सिखा देने की धमकी दी थी। किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का यूं सार्वजनिक रूप से धमकी देना निंदनीय है। केशव प्रसाद मौर्या के साथ चूंकि अजय मिश्र टेनी भी थे, किसान उनके रास्ते में बैठ गए और उन्हें काला झंडा दिखाया। इस कारण उनके काफिले को रास्ता बदल कर जाना पड़ा। केशव प्रसाद मौर्या के कार्यक्रम के समापन के बाद अजय मिश्र टेनी का बेटा अभिषेक उर्फ मोनू मिश्र टेनी अपनी गाड़ियों के काफिले के साथ लौटा और प्रदर्शन कर किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, फिर खुद फायरिंग करते हुए खेतों से होकर भाग निकला। इस घटना में अब तक 4 किसानों के और एक पत्रकार के मारे जाने की खबर आ चुकी है। इसके अलावा किसान आंदोलन के नेता तजिंदर सिंह विर्क सहित कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। ऐसी खबर है कि गुस्से में किसानों ने हत्या के लिए इस्तेमाल की गई गाड़ियों को आग लगा दी। कुछ प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है कि गाड़ियों में असलहे और विस्फोटक रखे थे, इस कारण उसमें स्वतः आग लग गई। दोनों में से जो भी बात सही हो, लेकिन आग लगने के बाद उसमें असलहे और विस्फोटक होने की पक्की खबरें आने लगी हैं।
लोगों का कहना है कि मंत्री के पुत्र की गाड़ी के पीछे पुलिस की गाड़ियां भी लगी हुईं थी, फिर भी मंत्री पुत्र को न तो उन्होंने रोका न ही उसे भागते हुए पकड़ने का प्रयास ही किया।जिससे सरकार पर भी शक होना लाज़िमी है।
पीयूसीएल इस घटना की कड़ी निन्दा करते हुए मांग करता है कि मंत्री पुत्र मोनू मिश्र टेनी सहित गाड़ी में सवार सभी लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाय, उनपर हत्या के साथ साजिश रचने की धारा के तहत मुकदमा चलाया जाए, उकसाऊ भाषण देकर इस मामले को इस ओर ले आने के लिए मंत्री अजय मिश्र टेनी पर भी हत्या और साजिश रचने का मुकदमा दर्ज कर उन्हें भी गिरफ्तार किया जाय, मूकदर्शक बने इस अपराध में शामिल पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया जाए और उन पर भी साजिश मे शामिल होने का मुकदमा चलाया जाए।
यह पूरा मामला सरकार में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की रची गई साजिश लगती है, इसलिए इस पूरी घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाय। मृतक किसान परिवार व पत्रकार के परिवार को सरकार की ओर से उचित मुआवजा दिया जाय।