लखनऊ। भाकपा (माले) व किसान महासभा ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के ‘ एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) बचाओ ‘ आह्वान पर सोमवार को राज्यव्यापी धरना-प्रदर्शन किया।
इस मौके पर नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार के तीन काले कानूनों में से एक में किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की ‘आजादी’ दी गयी है। यह आजादी भ्रामक है, क्योंकि इससे सरकारी खरीद करने वाली मंडी समितियों के बंद हो जाने और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के भी खत्म हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। मंडी समितियों से ही खरीद के जरिये एफसीआई के गोदामों में अनाज पहुंचता है। जहां से अनाज सरकारी राशन की दुकानों पर जाता है और रियायती दर पर गरीबों को राशन मिलता है। यदि मंडी समितियों से अनाजों की सरकारी खरीद बंद होगी, तो एफसीआई भी नहीं बचेगा और गरीबों को राशन भी नहीं मिलेगा। लिहाजा एफसीआई को बचाना और नए कृषि कानूनों को समाप्त कराना किसानों, गरीबों और देश के हित में है।
दिल्ली बार्डर पर पिछले 130 दिनों से जारी किसान आंदोलन को संचालित करने वाले एसकेएम के आह्वान पर आज मऊ, गाजीपुर, चंदौली, जालौन आदि विभिन्न जिलों में धरना-प्रदर्शन हुए।
मऊ में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जनपद के किसान मजदूर संगठनों और वामपंथी दलों ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के कार्यालय का घेराव किया। एफसीआई बचाओ-देश बचाओ ,एफसीआई बचाओ-गरीबों का राशन बचाओ का नारा लगाते हुए भाकपा, माकपा, भाकपा (माले),एसयूसीआई (सी), इमके,किसान संग्राम समिति, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, एक्टू के नेता और कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल हुए।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सरोज सिंह, अर्चना उपाध्याय, अनुभव दास, राम सोच यादव, बसंत कुमार, रामू प्रसाद,शैलेंद्र कुमार, त्रिभुवन शर्मा, राम अवतार सिंह,अनीस अंसारी, शिवमूरत गुप्ता, जयप्रकाश,छविनाथ, देवनाथ यादव, लाल बहादुर, लालजी, समसुलहक चौधरी ,सुधाकर ध्रुव मिश्रा,जंग बहादुर ,प्रेम प्रकाश, चौथी राम ,.जन्म धीरज सरवन अमन आदि शामिल रहे।