(लिली पोटपारा द्वारा लिखित स्लोवेनियन भाषा की यह एक बहुचर्चित कहानी है। लिली पोटपरा स्लोवेनियन साहित्य की एक प्रसिद्ध व पुरस्कृत लेखिका व अनुवादिका हैं। इस कहानी के अंग्रेज़ी के कई अनुवाद हुए हैं। प्रस्तुत अनुवाद क्रिस्टीना रेयरडन के अंग्रेज़ी अनुवाद का अनुवाद है, जो वर्ल्ड लिटरेचर टुडे में प्रकाशित हुआ था। यह एक बेहद मार्मिक कहानी है। एक ग़रीब बाप का अपनी बेटी के जन्मदिन पर दिया हुआ तोहफ़ा कैसे उसके दिल पर बोझ बन जाता है, इस कहानी में उस बच्ची की मनोदशा का अत्यंत सूक्ष्म , संवेदनशील व हृदयस्पर्शी चित्रण है। यह कहानी उन कहानियों की श्रेणी में आएगी जो पाठक के दिल में एक टीस बनकर रहती हैं। अनुवादक )
सरप्राइज़
लिली पोटपारा
अपार्टमेंट में कई दिनों से ख़ामोशी है। भाई और बहन दोनों ख़ामोशी से खेलते हैं, और उनकी माँ और डैडी आपस में बात नहीं करते। ख़ामोशी घनी और बोझिल है। कभी-कभी जब दोनों भाई-बहन अपने माँ-बाप के दरमियान आकर कोई सवाल करते हैं, जिनका जवाब दोनों एक साथ देते हैं, तो यह ख़ामोशी एक गूंज बन जाती है।
फिर एक दिन माँ काम से जल्दी घर आती है। भाई इस वक़्त घर में नहीं है, और डैडी काम कर रहे हैं। लड़की अपने खिलौनों के साथ एक खेल खेल रही है, जिसमें वह ख़ुद से बात करती है। वह उनसे सवाल करती है और फिर ख़ुद ही आवाज़ बदलकर जवाब देती है।
“अलेनका, किचन में आना !”, माँ बुलाती है।
अलेनका अपने खिलौनों से माफ़ी माँगती है। फिर आवाज़ बदलकर कहती है कि वह अभी आती है।
माँ कहती है, “अलेनका मैं तुम्हें कुछ बताने जा रही हूँ।”
माँ के चेहरे पर वही खिंचाव है जिससे अलेनका को डर लगता है। उसे नहीं मालूम कि इस खिंचाव का क्या मतलब है, लेकिन लगता है कि जैसे यह किसी ग़लत चेहरे पर खिंच गया है।
“ जानती हो, डैडी ने तुम्हारे लिए बर्थडे सरप्राइज़ लिया है।”
अलेनका जल्द ही ग्यारह साल की हो जायेगी। वह दिन दूर नहीं जब वह सयानी होगी और एक छोटी प्यारी बच्ची नहीं रह जायेगी।
“ डैडी तुम्हारे लिए साइकिल लाए हैं,” माँ कहती है। पोनी साइकिल।”
अलेनका कुछ नहीं कहती, लेकिन उसको न जाने क्यों अपना दिल भिंचता सा महसूस होता है, और अकारण ग़ुस्सा भी आता है। यह सच है कि वह बहुत दिनों से एक पोनी साइकिल चाहती रही है, ताकि वह सिल्वा और कैटरीना के साथ “अमेरिका” जा सके। अमेरिका एक छोटी सी सड़क है जो उसे अपने घर से काफ़ी दूर लगती है, क्योंकि उसके पास साइकिल नहीं है। जब सिल्वा और कैटरीना उसे बताती हैं कि अमेरिका कैसी सड़क है, और उसकी ढलान कैसी है, और नीचे पहुँचकर कितने ज़ोर से ब्रेक लगानी पड़ती है, तो अलेनका का दिल चाहता है कि वे कोई और बात करें।
“सुनो अलेनका,” माँ चेहरे के उसी खिंचाव भरे भाव के साथ कहती हैं, जो लगता है किसी ग़लत चेहरे पर हो। “तुमको ख़ुश दिखना है, क्योंकि डैडी ने इस साइकिल के लिए बहुत मेहनत की है। इसे ख़रीदने के लिए उन्हें क़र्ज़ा भी लेना पड़ा।
“जी माँ,” अलेनका यह कहकर खिड़की के नीचे रखे अपने खिलौनों के पास चली जाती है। “मुझे एक साइकिल सरप्राइज़ मिली है।” वह उन्हें बताती है और खिलौने उछलने लगते हैं।
फिर उसका जन्मदिन आता है। सुबह में अलेनका के पेट में ऐंठन होती है, लेकिन वह फिर भी स्कूल जाती है। क्लास के दौरान कभी-कभी वह सोचती है कि न जाने साइकिल का रंग कैसा है। लाल ? या नीला ? पोनी साइकिलें नीली या लाल होती हैं। सिर्फ़ सिल्वा की पोनी गुलाबी है क्योंकि उसके डैडी ने उसे गुलाबी रंग में पेंट किया है।
लंच के बाद डैडी घर आते हैं। अलेनका को अजीब महसूस होता है। उसको लगता है कि जैसे उसके चेहरे पर भी माँ जैसा खिंचाव पैदा हो गया है। जैसे कि यह उसका असली चेहरा न हो। डैडी उसे नीचे तहख़ाने में जाने को कहते हैं। अलेनका तहख़ाने में जाती है। वहाँ साइकिल रखी है। हल्की नीली।
अलेनका साइकिल को देखती है और फिर कनखियों से अपने डैडी को। उसे मालूम है कि उसे ख़ुश होना चाहिए, लेकिन उसके पेट की ऐंठन बढ़ जाती है। वह साइकिल को छूती है, साइकिल तो बिल्कुल ठीक है –लेकिन लोहा बर्फ़ जैसा ठंडा महसूस होता है।
“ थैंक यू डैडी, ” वह कहती है और जल्दी से ऊपर जाकर अपने खिलौनों को बताना चाहती है कि उसे एक सरप्राइज़ मिला है।
“ बाहर इसे चलाने नहीं जाओगी क्या? ” डैडी पूछते हैं, और अलेनका की समझ में नहीं आता कि क्या करे। “ जी, जाऊँगी। थोड़ी देर में।”
तहख़ाना तंग है और उसमें रौशनी भी कम है। डैडी बहुत बड़े हैं और अलेनका छोटी। उसे अपने सिर में “ क़र्ज़ा ” का शब्द सुनाई पड़ता है। लेकिन वह अपनी जगह से हिल नहीं सकती। अपनी नई पोनी के पास और डैडी के पीछे खड़ी, अलेनका का जी चाहता है कि डैडी वहाँ से चले जाएँ, ताकि वह सिल्वा और कैटरीना के साथ अमेरिका निकल जाए।
( अनुवादक डॉक्टर आफ़ताब अहमद कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में हिन्दी-उर्दू के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं )