24 फरवरी, नई दिल्ली
सोशल मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से यह जानकारी मिली है कि साहित्य अकादमी, जो कि देश की सर्वोच्च एवं प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था है, में एक महिला अधिकारी के साथ यौनिक हिंसा एवं नस्लीय भेदभाव हुआ है ।
ऐसा करने वाला कोई और नहीं है, बल्कि साहित्य अकादमी के सचिव की कुर्सी पर बैठे उनके आला दर्जे के अधिकारी के॰ निवास राव हैं । महिला अधिकारी की शिकायत पर यह केस कोर्ट में चला गया था । और महिला अधिकारी को सवैतनिक तीन महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया था । यह महिला अधिकारी अभी प्रोबेशन पीरियड पर थी । मामले की जांच अभी चल ही रही थी कि प्रोबेशन पीरियड खत्म होने के एक दिन पहले ही उस महिला अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया ।
महिलाओं को उनके काम के स्थान पर छेड़छाड़, यौन हिंसा, नस्लीय हिंसा न झेलना पड़े, वे अपने काम के स्थान पर सुरक्षित महसूस कर सकें, इसके लिए सख्त कानून हैं । कौन कहे उस महिला अधिकारी को न्याय दिलाने के लिए, यहाँ तो उसे नौकरी और न्याय दोनों अधिकारों से वंचित किया जा रहा है । सचिव के ॰ निवास राव को बचाने के लिए महिला अधिकारी को प्रोबेशन पीरियड के भीतर ही बर्खास्त कर दिया गया ,जो कि बदले की भावना से पूर्ण कार्रवाई लगती है ।
अकादमी का यह कदम देश की कामकाजी एवं अपने हिस्से का न्याय पाने की चाह, अधिकार रखने वाली महिलाओं को हतोत्साहित करने वाला है । महिला अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त किए जाना उसके न्याय पाने के अधिकार का उल्लंघन है । जन संस्कृति मंच इस मर्दवादी, कुत्सित व्यवहार की निंदा करता है । साथ में यह मांग करता है कि उस महिला अधिकारी की बर्खास्तगी को तत्काल रद्द किया जाय । आरोपी न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित न कर सके, इसलिए फैसला आने तक उसे साहित्य अकादमी के जिम्मेदार पद से हटाया जाय ।
जन संस्कृति मंच के लिए अनुपम सिंह, दिल्ली राज्य सचिव की ओर से जारी