लखनऊ. लखनऊ में नागरिक समाज ने पत्रकारों की गिरफ्तारी के खिलाफ लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर बैठक कर विरोध दर्ज कराया। वक्ताओं ने कहा कि इस साझे संघर्ष में हम सब गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया, इशिता सिंह और अनुज शुक्ला के हक़ ओ हक़ूक़ की लड़ाई में साथ हैं औऱ उनके परिवारो के साथ दुख के समय में कन्धे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इंसाफ के लिए सड़क से लेकर कानूनी लड़ाई तक लड़ी जाएगी।
वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह से योगी मोदी सरकार में संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार हमले बढ़े है उससे लोकतंत्र पर खतरा खड़ा हो गया हैं। जहाँ एक तरफ सत्ता समर्थित भगवा छात्र गुंडे बीएचयू में दलित प्रोफेसर को दौड़ा-दौड़ा कर मारते है वही अलीगढ़ में हिन्दू संगठन गोडसे की जयंती मनाते हैं। सरकार और उसकी मशीनरी सोती रहती हैं। वक्ताओं ने कहा की लखनऊ के डालीगंज पुल पर कश्मीरी दुकानदारों से मारापीट करने वाले विश्व हिंदू दल ट्रस्ट के मुखिया का पिछले सप्ताह योगी के साथ मुलाक़ात कर जन्मदिन की बधाई देने से क्या सूबे के मुख्यमंत्री की सामाजिक छवि को ठेस नहीं पहुचती। क्या समाज को तोड़ने वालो के साथ उनकी ये मुलाक़ात किसी संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति को करनी चाहिये। वक्ताओं ने कहा की मुख्यमंत्री खुद बताये की उनपर खुद कितने मुक़दमे दर्ज है।
वक्ताओं ने कहा की सोशल मीडिया की आवाज़ को सरकार अपने नियंत्रण में लेना चाहती है। आज जब इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने अपनी विश्वनीयता को खो दिया है उस जमाने में सोशल मीडिया ही आम जन के पास अपनी बात रखने का एक माध्यम बचा है।
बैठक में रिहाई मंच के राबिन वर्मा, सृजनयोगी आदियोग, अमरदीप सिंह, जमीयतुल कुरैशी उत्तर प्रदेश के शकील कुरैशी, ज्योति राय, वीरेन्द्र कुमार गुप्ता, गुफरान चैधरी, सऊद उल हसन, तौफिक नदीम, चंद्रेश, आइसा के शिवा रजवार, राजीव औए एजाज़ अहमद शामिल रहे।