बेगुसराय (बिहार). शहर के दिनकर कला भवन में सोमवार की शाम जसम की नाट्य इकाई रंगनायक द लेफ्ट थियेटर द्वारा कवि ज्योतिरीश्वर ठाकुर की कृति प्रसिद्ध मैथिली नाटक ‘ धूर्तसमागम ‘ का मंचन किया गया. नाटक का निर्देशन विजय कृष्ण पप्पु ने किया। नाट्य की परिकल्पना वरिष्ठ रंगकर्मी दीपक सिन्हा तथा निर्देशन सहयोग सक्रीय रंग-अभिनेता अमरेश कुमार का था.
इस नाटक को विलुप्तप्राय किरतनिया शैली मे करने की कोशिश की गई। बिना किसी तामझाम के साधारण प्रकाश व्यवस्था में संगीत संयोजन कीर्तन की तरह प्रयोग किया गया। अभिनेता पारंपरिक लोक शैली मे अभिनय कर रहे थे जिसमें महिला पात्र की भूमिका में पुरुष अभिनेता ही अभिनय कर रहे थे . झाल , ढोलक और हारमोनियम की थाप पर बेहतरीन नाच हो रहा था.
बारहवीं सदी के इस नाटक (प्रहसन) की रचना की गई थी जो आज भी समसामयिक है | बतौर कथ्य दो ब्राहमण गुरु और शिष्य इसलिये सन्यासी हो गये हैं क्योकि उनका विवाह नही हुआ है किंतु उन्हे एक अधेर सन्यासिन से भेंट होती है जिस पर दोनो गुरु और शिष्य मोहित हो जाते हैं. तभी उन्हें अनंगसेना नामक एक खूबसूरत वेश्या से मुलाकात होती है. वे दोनो कामवासना से वशीभूत हो कर उस वेश्या को पाने के लिए आपस में ही झगड़ पड़ते हैं. दोनों को अनंगसेना के साथ समस्याओं के निबटारा हेतु मिथिला राज के न्यायाधीश अस्सजाति मिश्र के न्यायालय मे लाया जाता है। किन्तु अस्सजाति मिश्र भी अनंगसेना की सुन्दरता पर मोहित हो जाता है. इस प्रकार यह नाटक धर्म और कामान्धता तथा कुत्सित, व्यभिचारी और भ्रष्ट व्यवस्था का पोल खोलने मे कामयाब होता है.
नाटक मे गुरु विश्वनगर की भूमिका में सचिन व शिष्य स्नातक की भूमिका मे विजय कृष्ण तथा अस्सजाति मिश्र की भूमिका मे दीपक सिन्हा ने अपने बेहतरीन हास्य अभिनय से दर्शकों को खूब प्रभावित किया. अनंगसेना की भूमिका मे धनराज और सुरतप्रिया तथा नटी की भूमिका मे गोविन्द पोद्दार ने लाजवाब अभिनय किया. सूत्रधार व नट की भूमिका में अभय कुमार, नागरिक की भूमिका में यथार्थ सिन्हा, मृतांगर ठाकुर की भूमिका में करण एवं मूलनाशक नाई का किरदार निभा रहे सोनू ने अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। बंधुवंचक की भूमिका मे जद्दू राणा और विदूषक की भूमिका मे कन्हैया कुमार हास्य रस का संचार कर रंगदर्शकों का दिल जीत लिया।
रूपसज्जा-मदन द्रोण, मोहित मोहन और पंकज का था | नाट्य संगीत कमलेश्वरी जी और गंगा पासवान के द्वारा संचालित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन साहित्यकार शेखर सावंत ने किया तथा मंच संचालन विजय कुमार सिन्हा ने की। विशेष सहयोग पंकज कुमार सिन्हा, अवधेश पासवान, राहुल सावर्ण, परवेज युसुफ और गुजेश गुन्जन का था।
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