विजय नगर साहित्यिक सोसायटी के उद्घाटन कार्यक्रम में अंतर्जातीय और अन्तरधार्मिक विवाह किये जोड़ों को सम्मानित किया गया
नई दिल्ली. 11 फरवरी को विजय नगर साहित्यिक सोसायटी का उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित हुआ । दिल्ली में इलाकेवार इस तरह की साहित्यिक सोसायटीज की स्थापना हो रही है। ये सोसायटीज स्थानीय इलाकों में रहने वाले साहित्यकारों और नवोदित युवा लेखकों संस्कृतिकर्मियों और कलाकारों के लिए आपसी साहित्यिक सांस्कृतिक मंच का काम करेंगी।
अब तक इस तरह की तीन सोसायटीज की स्थापना हो चुकी है। सभी सोसायटीज के उद्घाटन के अवसर पर अंतर्जातीय और अन्तरधार्मिक विवाह किये हुए जोड़ों को सम्मानित किया गया और जाति मुक्त भारत के निर्माण में इसके योगदान पर खूब चर्चा भी हुई।
विजय नगर साहित्यिक सोसायटी और जन संस्कृति मंच दिल्ली की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विजय नगर साहित्यिक सोसायटी का उद्घाटन प्रसिद्ध कहानीकार योगेंद्र आहूजा ने किया और उपस्थित जोड़ों को स्मृति चिन्ह और फूल देकर सम्मानित किया। अपने उद्धाटन वक्तव्य में श्री आहूजा ने कहा कि अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह एक तरह से राजनीतिक वक्तव्य होते हैं। ऐसे समय में जब मनुष्य को उसके जातिगत और धार्मिक पहचान को ही प्रमुख पहचान बनाकर प्रेम जैसे स्वाभाविक नागरिक अधिकार पर पाबंदी लगा दी जाती है, तो ऐसे जोड़ों को सम्मानित करना इसका सही जवाब है।
इस कार्यक्रम में पाँच जोड़ों को सम्मानित किया गया । सबने अपने-अपने संघर्षों के अनुभवों को साझा किया। नीरा और संदीप ने कहा एक ऐसी सोसायटी बने जो ऐसे जोड़ों की मदद करे। ऐसे लोग भी होते हैं जो खुद जाति तोड़ने के प्रति सचेत नहीं होते हैं लेकिन दोनों शादी करना चाहते हैं। इस तरह के सम्मान कार्यक्रम और जाति मुक्त भारत के सवाल पर और भी ज्यादे सार्वजनिक ढंग से होने चाहिए। 14 अप्रैल को गाजियाबाद में 50 जोड़ों को सम्मानित करेंगे।
जेनिफर और अहमर ने कहा कि अभी अंतर्जातीय और अंतर्धार्मिक विवाह से जाति व्यवस्था का टूटना अभी दूर की कौड़ी है।’ उन्होंने मुस्लिम समाज में फैली कुरीतियों और पाखंड की खूब आलोचना की और इनके दूर किये जाने की जरुरत पर जोर दिया।
तूलिका ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि तीन तरह का पब्लिक स्फीयर होता है जहाँ हमें संघर्ष करना पड़ता है। प्रगतिशल आंदोलन ने हमारे लिए एक बड़े सपोर्ट सिस्टम की तरह काम किया। वर्क प्लेस भी इस तरह के फैसलों के चलते भेदभाव करता है। इस तरह के जोड़ों के लिए एक सपोर्ट सिस्टम जरुरी है। उसके लिए कोई अभियान चले। अंतर्जातीय और अंतर धार्मिक विवाह महिला मुक्ति का एक माहौल तो देते हैं। मृत्युंजय ने कहा कि जब परिवार विरोध कर रहा होता है तो वह अपने जातिगत और स्थानीय समाज से निर्देशित हो रहा होता है।
अनूप श्री ने कहा कि जिसके लिए हमें सम्मानित किया जा रहा है, यह दरसल स्वाभाविक स्थिति होनी चाहिए। युवाओं के पास निर्णय का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से खासतौर पर कहा कि उन्हें इस जाति व्यवस्था को तोड़ने के लिए आगे आना होगा।
उमा गुप्ता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रगतिशल राजनीतिक चेतना ने इस तरह का फैसला लेने का साहस पैदा किया। इसके बाद उन्होंने अपने संघर्षों को विस्तार से बताया।
शोधार्थी मिथिलेश ने कार्यक्रम के अंत में अपने गीतों से कार्यक्रम को और भी रोचक बना दिया। कार्यक्रम का संचालन राम नरेश ने किया। इस कार्यक्रम में अवधेश, कनिका, संजय , अनामिका, आयान, आरम्भ, लक्ष्मण, आशीष, मिथिलेश, शुभम, सौरभ, दिनेश, किशन आदि शामिल हुए।
1 comment
Comments are closed.