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यूपी : दलित-पिछड़ी जातियों में बंटवारा इस बार जाति से ज्यादा मुद्दों पर है

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में 7 तारीख को अंतिम चरण का चुनाव है, जिसके लिए सभी ने अपनी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस से प्रियंका- राहुल गांधी से लेकर विभिन्न जिलों में अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, ओमप्रकाश राजभर आदि तमाम नेता रोड शो और जनसभाएं कर रहे हैं. कहा जा रहा है इस पूरे चुनाव में जीत की कुंजी गैर यादव पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों तथा गैर जाटव कही जाने वाली जातियां हैं. जिनमें मुख्य रुप से कुर्मी, कुशवाहा / मौर्य, पासवान, सोनकर,निषाद, बनवासी/ मुसहर, प्रजापति, चौहान आदि प्रमुख हैं.
इलाहाबाद में 27 फरवरी को पांचवें चरण की वोटिंग हो चुकी है। वहां शहर उत्तरी जहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और सपा त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है वहां पिछड़ी और दलित जातियों में विभाजन दिखा. दलित जाति से आने वाले गल्ला बाजार के राम सजीवन कहते हैं कांग्रेस के प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह सर्व सुलभ हैं और लगातार काम किए हैं.ऐसा ही मत प्रयाग स्ट्रीट में रहने वाली दलित बस्ती की 60 पार रानी जैसवार का भी है, जो घरेलू सहायिका का काम करती हैं. यह लोग पहले बसपा को वोट करते रहे हैं.गल्ला बाजार, बड़ी बगिया ऊंटखाना जिनमें इन जातियों की बहुतायत है, आमतौर पर उन्होंने भाजपा के खिलाफ वोट किया है. कुछ मत सपा को भी गए हैं. लेकिन वहीं शहर पश्चिम में रिक्शा चालक हक्कू जो बख्शी मोढ़ा के हैं और निषाद समुदाय से आते हैं वह फ्री राशन देने को प्रमुख बात मानते हैं और भाजपा का समर्थन करते हैं. गल्ला बाजार के राम सजीवन कहते हैं कि चंद्रशेखर आजाद को इस गठबंधन में 2 सीट भी मिल रही थी तो उन्हें समझौता करना चाहिए था। इससे दलितों के भीतर एक नया नेतृत्व उभरता. शहर उत्तरी के सफाई कर्मचारियों की बस्ती अल्लापुर, फतेहपुर बिछुआ, दारागंज आदि में भी कांग्रेस के अलावा सपा को भी वोट गए हैं। यहां भी आमतौर पर ट्रेंड भाजपा के विरोध का रहा है.यहां बसपा लड़ाई से पूरी तरह बाहर है.

यूपी के चुनाव के अंतिम चरण में बनारस में सभी बम बम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी जी दो बार से यहां से सांसद हैं और विधानसभा चुनाव उनके लिए नाक का सवाल बन गया है. विधानसभा अजगरा सुरक्षित सीट है। यहां भाजपा से बसपा छोड़कर आए टी. राम खड़े हैं तो सपा गठबंधन में यह सीट से ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को मिली है, जिससे सुनील सोनकर और बसपा से डॉक्टर लाल बहादुर प्रत्याशी हैं. ब्लाक चोलापुर का गांव लखनपुरा की मुसहर बस्ती में लोगों को शौचालय, आवास और जल निगम के पानी का कनेक्शन मिला है.फ्री राशन, वैक्सीन लगाने का प्रभाव है. लोग कहते हैं कि योगी जी की सरकार बनती है तो आगे भी राशन फ्री मिलेगा. हालांकि लछमीना देवी कहती हैं कि आंख का ऑपरेशन प्राइवेट में करवाना पड़ा और ₹8000 लग गया. वहीं रिश्तेदारी में आए रोहनिया विधानसभा गांव बच्छांव के जुठ्ठन और निर्मला देवी मिलीं. ये लोग भी इन्हीं बातों का समर्थन करते दिखे. किसी का भी आयुष्मान कार्ड नहीं बना है. यह दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. नरेगा के बारे में पूछने पर कहते हैं, एक तो उसमें काम नहीं मिलता ऊपर से मजदूरी कम मिलती है और देर से मिलती है.

अजगरा विधानसभा के बंतरी गाँव के ग्रामीण

दानपुर बाजार से अंदर जाकर ग्राम बंतरी है,यहां वनवासियों के एक समूह से बात होती है.यह अजगरा विधानसभा का अंतिम गांव है. जिसके बाद केराकत विधानसभा, जौनपुर लगती है. चुनाव के मुद्दों पर आवास मिलना और राशन मिलना इन्हें प्रमुख लगता है. आमतौर पर सभी दिहाड़ी मजदूर हैं, इक्का-दुक्का के पास कुछ खेती की जमीन भी है. गांव में स्कूल है. प्रभावती और मालती कहती हैं कि बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो गई है. मोबाइल है नहीं तो पढ़े कैसे? युवा विजय और अवधेश कहते हैं कि मिट्टी ढोने का काम करते हैं वह बंद पड़ा है. जो काम मिलता है वह जिस रेट पर मिलता है करना पड़ता है. कुछ का आयुष्मान कार्ड बना है लेकिन महामारी के दौरान उससे कहीं इलाज नहीं हुआ. मुला देवी कहती हैं भादों में जब घर में अनाज तक मुश्किल से होता है तब कार्ड बनाने आए थे और डेढ़ सौ रुपया मांग रहे थे. मजाक में कहती हैं कि हमने कहा 2000 की नोट है फुटकर नहीं है कहां से दें. नरेगा में तो काम ही नहीं मिलता. परिवार में एक आदमी का ही जॉब कार्ड बना है. सिलेंडर मिला है लेकिन महंगाई इतना है कि गैस नहीं भरवा पा रहे.

 

राजेश जोर देकर कहते हैं कि घर हम लोग नहीं बनवा सकते थे वहीं सरकार ने बनवा दिया. वहीं खड़े दुलार कहते हैं कि संकट इतना गहरा है कि आगे का भविष्य क्या होगा? रोजगार बंद है.किसानी में सांड़ चर जा रहे हैं, महंगाई चरम पर है. हम ये सब सोच कर ही वोट देंगे.आशा बहन के काम से लोग खुश हैं लेकिन बताते हैं कि आंगनबाड़ी नहीं खुलती.आंगनबाड़ी ब्राह्मण समुदाय से आती है यह गांव ब्राह्मण बहुल है. गांव में घुसते ही एक बड़ा सा बोर्ड स्वतंत्र चौबे अध्यक्ष परशुराम सेना का यहां लगा दिखता है. ग्राम प्रधान रामप्रसाद निराला भी साइकिल से आ गए लेकिन चुनाव को लेकर कुछ नहीं बोले.

इसी विधानसभा का गांव छिवलिया काफी बड़ी आबादी वाला गांव है. यहां 5500 के करीब मतदाता हैं. जिनमें सर्वाधिक लगभग 16 सौ जाटव हैं। इसी के आसपास यादव फिर कनौजिया, प्रजापति और अन्य जातियां हैं. यहां लोग काफी खुलकर बोलते हैं. गांव के बाहर ही संत रविदास का स्थल बना हुआ है और दलित बस्ती में हिंदू देवताओं का मंदिर है. जिसके दरवाजे पर एक तरफ डॉक्टर अंबेडकर तो दूसरी तरफ गणेश जी का चित्र लगा है. यहां कई लोग समूह में इकट्ठा हो गए. महेंद्र कहते हैं कि राशन और वैक्सीन से हमारे वोट पर असर नहीं पड़ेगा. हम बसपा को वोट करते हैं और उसी को वोट करेंगे.मेरे पूछने पर कि दलितों पर इतने हमले हुए लेकिन बहनजी नहीं बोलीं.प्रचार में हैं इस बार बसपा को भाजपा का अप्रत्यक्ष सहयोगी माना जा रहा है. देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी बयान दिया कि बहन जी चुनावी दौड़ में हैं और बहन जी ने उन्हें शुक्रिया कहा. इन सब को आप लोग कैसे देखते हैं? इसका जवाब देते हुए यहां लोग कहते हैं कि हां बहन जी को दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर बोलना चाहिए. लेकिन अगर वह भाजपा के साथ मिल भी जाएं तो हमें कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि उनके राज में कड़ाई रहती थी. पुलिस हमारी शिकायत दर्ज करती थी. लेकिन वहीं बैठे बीएड  कर चुके युवक राकेश रोजगार से लेकर पेपर लीक और फार्म भरने की ज्यादा फीस को लेकर सवाल उठाते हैं और कहते हैं कि सरकार बदलनी चाहिए.यह हमारा मुद्दा है. इस गांव से लछमीना कनौजिया ब्लाक प्रमुख हैं. गांव की सड़कें भी नहीं बनी हैं. गांव में कनौजिया, प्रजापति दो और प्रमुख जातियां हैं, जिनके वोट का एक हिस्सा सपा को जाएगा ऐसा लोगों का मानना है.

आजमगढ़ सदर विधानसभा का गांव सिकरौरा, चौहान लोगों की बड़ी बस्ती है. यहां पिछली बार 90% लोगों ने भाजपा को वोट डाले थे. सुबह सुबह 8:30 बजे पहुंचने पर काफी स्त्री-पुरुष- जवान मिल जाते हैं.गांव के बीच में खुली जगह पर बातचीत शुरु होती है. चुनाव के मुद्दों पर बात शुरू होते ही लोग मुखर होकर बातचीत करते हैं. मुद्दे यहां भी महंगाई, रोजगार, आवारा पशु और विभिन्न योजनाओं की सफलता असफलता के ही हैं. अंकित चौहान गैस के दाम और पेट्रोल डीजल की कीमत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी की बात करते हैं तो छात्र सुधाकर चौहान जो जिले के शिब्ली कॉलेज से बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं कहते हैं कि शिक्षा और रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है. बताते हैं कि ओबीसी छात्रों की स्कॉलरशिप नहीं आ रही है. यही बात निजामाबाद के गांव सोफीपुर की रचना यादव भी कहती हैं. वह जिले के बाबा विश्वनाथ पीजी कॉलेज से बीटीसी कर रही हैं. 2 सेमेस्टर की फीस ₹70000 लगी है जिसमें से 41000 छात्रवृति के रूप में वापस मिलनी थी लेकिन अभी तक मात्र ₹24 सौ ही मिला है.

सिकरौरा की खुदरी देवी बताती हैं कि लॉकडाउन के पहले लड़के कंपनी में काम करते थे.अब घर पर हैं.विधवा पेंशन पहले मिली थी लेकिन इस सरकार में नाम काट दिया है.अब नहीं मिलती. रामावती को भी पहले दो-तीन बार मिली थी लेकिन अब पेंशन नहीं मिलती.आवास भी नहीं मिला है. विद्यावती को पेंशन मिलती है लेकिन आवास नहीं मिला.महामारी के समय हाल क्या था यह पूछने पर सभी बोलते हैं कोई सुविधा नहीं मिली.इसी ग्राम सभा में 8- 10 लोग मर गए. झोलाछाप डॉक्टरों ने ही बचाया उस समय. कोई भी किसी पार्टी से नहीं आया. सपा राज में गुंडई वाले सवाल पर लोग बोलते हैं कि हां वह थी जरूर वह कम हुई है लेकिन पुलिस की गुंडई बढ़ गई है. हालांकि रामआसरे यादव कहते हैं कि गुंडे तो भाजपा में भरे पड़े हैं. वे अजय मिश्रा टोनी का नाम लेते हैं और कहते हैं कि सबसे बड़ा गुंडा जो किसानों को कुचलवा दे वह मंत्री बना बैठा है. किसान आंदोलन जब चला तो यहां के लोग मानते हैं कि वह भले के लिए चला और इन लोगों को अच्छा लगा. यहां तक कि इन लोगों के सारे तर्कों का विरोध करने वाले एक व्यक्ति जो लगातार अकेले ही प्रतिवाद कर रहे थे इस सवाल पर वह भी सबके साथ खड़े दिखे. बातचीत होते होते लोगों ने खुलकर कहा कि अबकी बार साइकिल के साथ जाएंगे.

चुनाव तो 7 तारीख को होंगे लेकिन विभिन्न पिछड़ी और दलित जातियों में वोटिंग को लेकर फांक साफ दिख जाती है. वह चाहे गैर यादव पिछड़ी, अति पिछड़ी जातियां हो या गैर जाटव  दलित जातियां हो. इस चुनाव में सबसे खास बात यह है कि यह बंटवारा इस बार जाति से ज्यादा लोगों के जीवन से जुड़े बुनियादी मुद्दों पर हो रहा है. राज्य के भविष्य के लिए इसे सकारात्मक संकेत के रूप में समझा जाना चाहिए.

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