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कलिंग पुरस्कार की प्रतिस्पर्धा से बाहर आने का फैसला किसी की प्रेरणा का नतीजा नहीं था : देवी प्रसाद मिश्र

वरिष्ठ कवि देवी प्रसाद मिश्र ने एक वक्तव्य में कहा है कि ‘ कलिंग पुरस्कार की प्रतिस्पर्धा से बाहर आने का  फैसला किसी की प्रेरणा का नतीजा नहीं था। वह मेरा निजी नैतिक निर्णय था। ’

आज जारी एक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि ‘ मैं इस बात का पूरी  दृढ़ता और सत्यबल  से खंडन और  प्रतिवाद करता हूँ कि कलिंग पुरस्कार की प्रतिस्पर्धा से अपनी कथा पुस्तक ‘ कोई है जो ’ को  बाहर रखने का फैसला मैंने किसी से बात करके या किसी से प्रेरित होकर या किसी के दबाव में लिया। वह मेरा अपना निजी नैतिक निर्णय था। इस प्रसंग से जुड़ी किसी भी दावेदारी या झंडाबरदारी या नेतागीरी को मैं अनुचित और अनैतिक मानता हूं। मेरे अपने स्वतंत्र निर्णय को किसी तत्वावधान, पौरोहित्य, संरक्षण या  बड़बोलेपन  का उपांग न माना जाय । मेरी तस्वीर को फेसबुक के किसी भी अकाउंट से प्रेरित लेखकों  के समुच्चय से तत्काल हटाया जाय। ’

श्री मिश्र ने दो दिन पहले अपनी कथा पुस्तक ‘ कोई है जो ‘ को कलिंग पुरस्कार के लिए शार्ट लिस्ट किए जाने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि पुस्तक को शार्ट लिस्ट किए जाने के लिए उनकी स्वीकृति नहीं ली गई थी। उन्होंने कहा था कि ” मैं फेसबुक या एक्स पर नहीं हूं। इस बीच विस्तारित कुटुंब में एक मृत्यु और एक सम्बंधी की गंभीर रुग्णता ने मुझे इधर उधर देखने की फुर्सत से वंचित कर रखा है। हाल में मुझे कुछ मित्रों ने बताया कि मेरी कहानी की किताब ‘कोई है जो’ को कलिंग पुरस्कार की शॉर्ट लिस्ट में रखा गया है। इसके लिए मेरी लेखकीय स्वीकृति नहीं ली गई थी। तमाम कारणों से, जिनकी व्याख्या का अवकाश मेरे पास इस समय नहीं है, मैं तत्काल प्रभाव से अपनी किताब को इस लखटकिया पुरस्कार दौड़ से बाहर किये जाने का अनुरोध कलिंग पुरस्कार के आयोजकों से करता हूं।”

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