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साम्प्रदायिक सौहार्द का सन्देश लेकर समस्तीपुर पहुंचा जनसंस्कृति मंच का सांस्कृतिक जत्था

समस्तीपुर। जनसंस्कृति मंच, बिहार के तत्वावधान में आयोजित जनसांस्कृतिक यात्रा का चैथे दिन समस्तीपुर में आगमन हुआ। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा, साम्प्रदायिक सौहार्द के सन्देश के साथ जत्थे ने पूरे शहर भर में कार्यक्रम किया। पहला कार्यक्रम सातनपुर, दूसरा कार्यक्रम गाँधी चौक , तीसरा कार्यक्रम किशनपुर तथा चौथा कार्य्रकम कल्याणपुर में हुआ।

कार्यक्रम में सांस्कृतिक टीम ने जनवादी गीतों के जरिये देश के सामाजिक- राजनीतिक प्रश्नों की ओर ध्यान दिलाया।
समस्तीपुर में सांस्कृतिक यात्रा में शामिल कलाकारों का स्टेशन चौक पर माला पहनाकर स्वागत किया गया। महात्मा गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद जसम की जिला अध्यक्ष प्रो० स्नेहलता कुमारी की अध्यक्षता में सभा हुई।

कल्याणपुर में भाकपा माले के युवा नेता रंजीत राम और कल्याणपुर प्रखण्ड सचिव दिनेश कुमार ने जत्था का स्वागत किया।

चारों स्थानों पर हुए कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जसम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो० सुरेन्द्र सुमन ने कहा कि हम मोहब्बत का पैगाम लेकर निकले हैं। सत्ता के तमाम मंसूबों पर पानी फिर जाएगा अगर हम उनसे रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, भूमि सुधार, महंगाई आदि को लेकर डट रहें। हमें अपना ध्यान इन्हीं सवालों पर केंद्रित करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि आज देश की आम जनता सांझी विरासत की हिफाजत और सामाजिक- सांस्कृतिक सौहार्द की आवश्यकता महसूस कर रही है। फासिस्ट राजनीतिक शक्तियां देश में सामाजिक- सांस्कृतिक विभाजन की लगातार कोशिश कर रही है। झूठ का इतिहास गढ़ा जा रहा है। नफरती और सांप्रदायिक माहौल बनाएं रखने के लिए ‘ काश्मीर फाईल्स ’ जैसी सांप्रदायिक फिल्में टेक्स फ्री कर दिखाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि आज स्वाधीनता के मूल्यों को बचाने की जरूरत है. नई पीढ़ी और आम- आवाम को यह बताने की जरूरत है कि कुछ ब्रिटिश दलालों को छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई हिंदू- मुस्लिम- सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, दलित, आदिवासी ने मिलकर लड़ी थी. स्वतंत्रता संग्राम के सांझी विरासत को आगे बढ़ाना और स्वाधीनता संग्राम में अर्जित जनवादी मूल्यों की हिफाजत करना हमारे लिए फौरी टास्क है और इसी के तहत जन संस्कृति मंच की केंद्रीय सांस्कृतिक टीम ने आजादी क 75वें वर्ष के अवसर पर गीत, जनगीत, नाटक, संवाद के माध्यम से जन सांस्कृतिक यात्रा शुरू की है। यह यात्रा आम- आवास की संवेदना और चेतना को जागृत करने के साथ ही फासीवादी संस्कृति के बरक्स प्रतिरोध की संस्कृति के लिए आह्वान करती है।

सांस्कृतिक जत्था का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ एक्टिविस्ट गालिब खां ने कहा कि यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। हम कॉरपोरेट की गुलामी से, सत्ता की निरंकुशता से , समाज में फैलाए जा रहे वैमनस्य से आजादी चाहते हैं।

माले जिला स्थाई समिति सदस्य ललन कुमार, सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, माले राज्य कमिटी सदस्य बंदना सिंह ने भी सभा को संबोधित किया . बंदना सिंह ने कहा कि महिलाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. उन्हें शिक्षा से अलग रखने की साजिश चल रही है। हमें उनकी साजिशों को नाकाम करना होगा।

इस मौके पर गुलाबजी, जन कवि कृष्ण कुमार निर्मोही, प्रमोद यादव, नाट्य निर्देशक राजू कुमार रंजन, का० अभय, ननकू पासवान, मनोज कुमार, पुनीत सहित कलाकारों ने हारमोनियम, ढ़ोलक, डफली, मजीरा के धुन पर जन गीत गाये। गायकों ने ‘ हम हैं इसके वारिस हिंदोस्तां हमारा ’, ‘ अपनों से नहीं रहे दूर-दूर आ कदम से कदम से मिला ’, ‘ नौकरी मिलतो न सरकारी जाकर बेचो तरकारी ’, ‘ मिलल कईसन आजादी जहाँ मिलत न ही पानी ’, ‘ के हमरा गांधीजी के गोली मारले हो धमा धम तीन गोली ’, ‘ लाजिम है कि हम भी देखेंगे ’ गीत गाए।

रंगनायक से जुडे रंगकर्मियों ने दीपक सिन्हा रचित व युवा रंग निर्देशक राजु रंजन के निर्देशन में ‘ उठो मेरे देश नाटक ’ की बेहतरीन प्रस्तुति की। नाटक में मनोज कुमार , आकाश कुमार , अभय कुमार संजय कुमार और दिलीप कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। कार्यक्रम के अंत में

सुरेंद्र प्रसाद द्वारा लिखित गीत ‘ भारत के मजदूर-किसानों जागो तो तुफान जगे ’ गाकर कार्यक्रम का समापन किया। इस मौके पर अरविंद आनंद, संजय कुमार, रौशन रजक, अमलेंदू कुमार, माले के सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, ललन कुमार, अनिल चैधरी, राजकुमार चैधरी, उमेश राय, अरुण राय, आइसा के सुनील कुमार, लोकेश राज, दीपक यदुवंशी, मनीषा कुमारी, रविरंजन कुमार, रौशन कुमार, धीरज कुमार, राजू कुमार झा, सोनू कुशवंशी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दरभंगा जसम के जिला सचिव समीर ने किया.

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