सुचेता डे
इस वर्ष 24 फरवरी से उत्तरी पूर्वी दिल्ली में सोचे समझे ढंग से सांप्रदायिक हमले करवाए गए जिसमें सैकड़ों घर जल गए। सैकड़ों लोगों की आजीविका और संपत्ति पूरी तरह से नष्ट हो गई।
दंगे के एक महीने से भी कम समय बाद, देशव्यापी बंद की घोषणा की गई। पूरे देश के मजदूरों और गरीबों को तालाबंदी की वजह से भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रवासी श्रमिक संकट की त्रासदी अभी भी सामने है। इस स्थिति में दंगा पीड़ित दोगुने प्रभावित हुए।
सीपीआई-एमएल ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और पुनर्वास उद्देश्यों के लिए उनके संपर्क एकत्र किए थे। CPIML दिल्ली राज्य सचिव रवि राय, राज्य समिति के सदस्य सुचेता और रामविलास और AISA के छात्र नेताओं सहित एक CPIML टीम ने कुछ दंगा पीड़ितों के घरों का दौरा किया। उन्हें कुछ पुनर्वास राशि वितरित की गयी है।
लॉक डाउन के बाद अपने राहत अभियान को फिर से शुरू करते हुए CPI-ML दिल्ली की टीम ने दिल्ली दंगों के पीड़ित कुछ परिवारों से मुलाकात की . दंगों में अपना सब कुछ गवां चुके मुस्तफाबाद व शिव विहार के इन परिवारों की मुश्किलों को लॉक डाउन ने और ज्यादा बढ़ा दिया है .
टीम के सदस्यों ने बताया कि
“न्याय और मुआवजे के लिए भटक रहे इन लोंगों के लिए आजीविका के साधनों को खड़ा करने में मदद की यह एक कोशिश है. दिल्ली दंगों में इनके घर ही नहीं जले बल्कि रोजगार के साधन भी बर्बाद हो गए. इतने मुश्किल हालात से गुजर रहे ये परिवार अपने हौसले को जोड़ कर आजीविका के नए साधन खड़ा कर रहें हैं .
किसी ने ठेला खरीद कर दुकान लगाने का सोचा है , किसी ने सिलाई मशीन खरीद कर . कोई प्रेस खरीद कर रोजगार शुरू करना चाहता है , कोई e रिक्शा लेना चाहता है . एक बुजुर्ग दंपत्ति अपने जले मकान में ही परचून की दुकान शुरू करना चाहते हैं . कुछ युवक अपने कारीगरी के औजार खरीद कर पेंटिंग व निर्माण काम मे रोजगार तलाशना चाहते हैं . उनकी इन कोशिशों में हम लोग यथासंभव मदद कर रहें हैं .”
टीम का मानना है कि “यह प्रयास आवश्यकता की तुलना में न्यूनतम हैं। दिल्ली सरकार ने अभी तक किसी तरह के मुआवज़े का वितरण नहीं किया है। प्रारंभिक रूप से 25 हज़ार की राशि कुछ लोगों को मिल पाई है लेकिन बाकी मुआवजा राशि लगभग किसी को नहीं दी गई है।
हमें यह सुनिश्चित करने के लिए आवाज उठानी चाहिए कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार दंगा पीड़ितों के साथ विश्वासघात न करे। मुआवजा तुरंत दिया जाना चाहिए। दंगा पीड़ितों के लिए कागजी कार्रवाई में ढील दी जाना चाहिए।”
आज जबकि एक ओर अमित शाह के निर्देशों के तहत दिल्ली पुलिस मुस्लिमों और CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को पीड़ित करने के लिए RSS स्क्रिप्ट पर चल रही है वहीं दिल्ली सरकार ने RSS मैन तुषार मेहता को दिल्ली दंगा के लिए Govt Council नियुक्त किया है।
लोकतंत्र समर्थक आवाजों को हारने या झुकने नहीं देना होगा। न्याय और पुनर्वास के लिए संघर्ष को जारी रखना होगा।
हिंसा में मुसलमानों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, मस्जिदों को जला दिया गया।
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण देने और CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की धमकी देने के तुरंत बाद हिंसा शुरू हुई । मौजपुर में डीसीपी के सामने भाषण दिया गया। लेकिन कपिल मिश्रा पर कोई कार्यवाही नही की गई . दंगे में दोनों समुदायों के लोग- मुस्लिम और हिंदू मारे गए हैं और सैंकड़ो लोगों के घर और रोज़गार के साधन बर्बाद हो गए हैं।
दिल्ली दंगा पीड़ितों के लिए न्याय की मांग के लिए एकजुट हों!
दिल्ली दंगों के पीड़ित जब जीवन जीने और जीवनयापन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो आइये उनकी इस लड़ाई में उनके साथ हम भी खड़े हों!