समकालीन जनमत

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जनमत

लोकतंत्र नहीं, लिंचिंग तंत्र

विरूप
‘बालवांश्च यथा धर्मं लोके पश्यति पूरुषः। स धर्मो धर्मवेलायां भवत्यभिह्तः परः।। लोक में बलवान पुरुष जिसे धर्म समझता है, धर्म-विचार के समय लोग उसी को...
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