कविता कल्पना पंत की कविता अबोध-अनछुए मौलिक जीवन को बचाने की आकांक्षा हैसमकालीन जनमतJanuary 9, 2022January 9, 2022 by समकालीन जनमतJanuary 9, 2022January 9, 2022071 कल्पना मनोरमा कविता क्या है? कोई मुझसे पूछे तो मैं यही कहूँगी कि कविता एक निहायत ज़रूरी ज्योतित आवाज़ है. जो पहले उसे जगाती है...
कविताजनमत ‘रंजना के नवगीत और ग़ज़लें सृजन की धरती पर एक विराट संवेदना बो रहे हैं’समकालीन जनमतFebruary 23, 2020February 23, 2020 by समकालीन जनमतFebruary 23, 2020February 23, 202002193 कल्पना मनोरमा वर्तमान के खुरदरे जीवन व्यापारों के यथार्थ से जूझती एक अकेली स्त्री का गरिमा पूर्ण आत्म परिचय इन पंक्तियों से बेहतर क्या होगा? ...
कविताजनमत समय के छद्म को उसकी बहुस्तरियता में उद्घाटित करतीं कल्पना मनोरमासमकालीन जनमतJanuary 5, 2020January 5, 2020 by समकालीन जनमतJanuary 5, 2020January 5, 202003440 कुमार मुकुल लालसा सन्यास के पद गुनगुनाये चाटुकारी जब रचे उपसर्ग प्रत्यय तुष्ट होकर अहम सजधज मुस्कुराये। वर्तमान समय की राजनीतिक उलटबांसी और उससे पैदा...