समकालीन जनमत

Tag : राही डूमरचीर

जनमत

विश्व आदिवासी दिवस: ‘दे और दिल उन को जो न दे मुझ को ज़बाँ और’

समकालीन जनमत
राही डूमरचीर आज से अठारह साल पहले की एक दोपहर, जब मैं सही मायने में इस धरती का सच्चा नागरिक बनने की प्रक्रिया से जुड़...
कविता

राही डूमरचीर आदिवासी समाज और जीवन के गहरे कंसर्न के कवि हैं

समकालीन जनमत
विनय सौरभ राही डूमरचीर की कविताएँ पढ़ते हुए कुछ साधारण चीज़ें असाधारण तरीक़े से उनकी कविताओं में आती दिखती हैं। जैसे उनकी कविताओं के विषय।...
जनमत

9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस: ‘यह उनसे सीखने का समय है’

समकालीन जनमत
राजीव कुमार प्रसिद्ध नृतत्वशास्त्री और आदिवासी विषयक विद्वान वेरियर एल्विन की किताब ‘ए फिलॉसफी फ़ॉर नेफा’ (1958) की प्रस्तावना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी...
Fearlessly expressing peoples opinion