न्याय के सवाल को छोड़कर सामाजिक सौहार्द की बात ही नहीं हो सकती : प्रो राजीव भार्गव
नई दिल्ली. ‘‘ जिस समाज में किसी एक समूह या समुदाय का वर्चस्व हो, जहां हिंसा, दमन-उत्पीड़न और शोषण हो, जहां असहिष्णुता हर नुक्कड़ पर...
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