कविताजनमत प्रज्ञा की कविता व्यक्ति पर समाज और सत्ता के प्रभाव से उठने वाली बेचैनी हैसमकालीन जनमतSeptember 29, 2019September 29, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 29, 2019September 29, 201903413 निकिता नैथानी ‘कविताएँ आती हैं आने दो थोड़ी बुरी निष्क्रिय और निरीह हो तो भी..’ इस समय जब लोग आवाज़ उठाने और स्पष्ट रूप से...