नई दिल्ली. जन संस्कृति मंच ने लेखकों, बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घर छापेमारी और गिरफ्तारी को जनता के बीच भय और आतंक फ़ैलाने की कार्रवाई करार देते हुए मोदी सरकार के इस अघोषित आपातकाल के खिलाफ़ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन को और व्यापक व तेज करने का आह्वान किया है.
जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज कुमार सिंह ने जारी बयान में कहा कि 28 अगस्त को देश के कई राज्यों में कई लेखकों, बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घर छापेमारी की गयी और कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा और वरनॉन गोंज़ाल्विस को गिरफ्तार भी किया गया. गिरफ्तार लोगों में सभी अपने-अपने क्षेत्र की मशहूर हस्तियाँ हैं. जिस तरह से देशभर में इन गिरफ्तारियों का विरोध हो रहा है यह इनके संघर्षों और समाज में बौद्धिक योगदान की स्वीकार्यता का सबूत है.
जसम ने कहा कि गिरफ़्तारी और घरों में छापेमारी का यह तरीका दलितों, गरीबों के हक़ के लिए लड़ने और बोलने वाले लोगों में भय पैदा करने के उद्देश्य से अपनाया गया है. जो लोग सामाजिक विभाजन और भीड़ हिंसा में खुलेआम शामिल हैं और आए दिन नफ़रत फ़ैलाने वाले वक्तव्य देते हैं,उनको राज्य की तरफ से खुली छूट मिली है. जबकि समाज की बेहतरी और अपनी मुक्ति के लिए संघर्ष करने वाले दलित, वंचित तबकों के पक्ष में लिखने और बोलने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है.
इन सभी लोगों पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि ये लोग भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा के जिम्मेदार हैं. जबकि सच्चाई यह है कि हिंसा को अंजाम देने वाले पेशवाई संस्कृति के रक्षकों को बचाने की कोशिश हो रही है. दरअसल भाजपा सरकार और आरएसएस के बहुत सारे सांस्कृतिक, वैचारिक संगठन अपनी जनविरोधी गतिविधियों के कारण चौतरफा घिर गए हैं. इसलिए इस तरह के अभियानों के माध्यम से अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश चल रही है. अभी हाल ही में सनातन संस्था की आंतकवादी गतिविधियां जनता के सामने खुलकर आ गयी हैं. इससे भी लोगों का ध्यान बंटाने के लिए यह सब किया जा रहा है. सरकार द्वारा लेखकों, नागरिकों, बुद्धिजीवियों और मानवधिकार कार्यकर्ताओं की इस तरह की गिरफ़्तारी निश्चित रूप से आपातकाल की याद दिला रही है.
सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ पूरे देश के आम नागरिक, बुद्धिजीवी लेखक, छात्र, अध्यापक और सामाजिक कार्यकर्ता अपनी आवाज उठा रहे हैं. जन संस्कृति मंच जनता के बीच भय और आतंक फ़ैलाने के सरकार के इस अभियान की निन्दा करता है और सभी की बिना शर्त रिहाई की मांग करता है. साथ ही साथ मोदी सरकार के इस अघोषित आपातकाल के खिलाफ़ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन को और व्यापक व तेज करने का आह्वान करता है.