समकालीन जनमत
कहानी

पढिए स्लोवेनियन कहानीकार लिली पोटपारा की कहानी ‘ खिड़की से ’

 (‘खिड़की से ’लिली पोटपारा द्वारा लिखित स्लोवेनियन भाषा की कहानी है। लिली पोटपरा स्लोवेनियन साहित्य की एक प्रसिद्ध व पुरस्कृत लेखिका व अनुवादिका हैं। उनके कहानी संग्रह (Bottoms up stories) को 2002 में प्रोफ़ेशनल एसोसिएशन ऑफ़ पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स ऑफ़ स्लोवेनिया की तरफ़ से प्राइज़ फ़ॉर बेस्ट लिटरेरी डेब्यू” सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रस्तुत अनुवाद क्रिस्टीना रेयरडन के अंग्रेज़ी अनुवाद का अनुवाद है, जो ‘एल्केमी जर्नल ऑफ़ ट्रांसलेशन’ में प्रकाशित हुआ था समकालीन जनमत के पाठकों के लिए  हिंदी अनुवाद  कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क के  हिन्दी-उर्दू के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉक्टर आफ़ताब अहमद ने किया है ।     

  

***

अंका खिड़की के पास बैठी बाहर आँगन में देख रही थी। वहाँ बेंच पर नीज़ा और कारमेन बैठी खिलखिला रही थीं। वे हंस-हंसकर दोहरी हुई जा रही थीं।  अंका को लगा कि वे कभी-कभी उसकी खिड़की की ओर भी देखती थीं। अंका ने अपने होंठ भींच लिए और उसकी हल्की नीली आँखों का रंग बदलकर कुछ काला हो गया। “मुझे नीज़ा और कारमेन से नफ़रत है,” वह बड़बड़ाई। लेकिन ज़ाहिर है कि इतने ज़ोर से बड़बड़ाई कि ओमा ने सुन लिया, जो उसी समय धुले कपड़े लेकर कमरे में  दाख़िल हुई थी।

“क्या बात है अंका? तुम बाहर आँगन में क्यों नहीं जा रहीं। और अभी तुमने क्या कहा?”

“मैं बाहर नहीं जाऊँगी! मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगी!” उसने होंठ भींचकर कहा। एक बार फिर वह ज़ोर से बड़बड़ाई थी। उसकी यह सोच इतनी बड़ी होती जा रही थी कि अब उसके छोटे से सिर में समा नहीं पा रही थी।

ओमा सही अर्थों में एक अच्छी नानी थी और वह इस दुनिया में काफ़ी अरसे रह चुकी थी। वह खिड़की के पास गई, जैसे खिड़की का पर्दा ठीक करना चाहती हो, और जल्दी से बाहर झाँका। जब किसी ने  दुनिया बहुत देख ली हो तो उसे बहुत जल्दी से नज़र आ जाता है कि बाहर छोटे आँगन में क्या हो रहा है, चाहे उस समय उसका चश्मा उसकी नाक की नोक पर ही क्यों न हो, और चाहे वह हर रोज़ शिकायत करती हो कि उसकी आँखें रोज़-बरोज़ कमज़ोर होती जा रही हैं।

“बच्ची, किचन में आना,” मैंने तुम्हारे लिए कुछ बनाया है।!”

“नहीं, नहीं, मैं यहीं ठीक हूँ!” अंका ने अड़ियलपन  से जवाब दिया और अपनी नाक खिड़की के शीशे से सटा ली।

ताज़े सेब और बेक किये हुए आटे की महक अपार्टमेंट में फैल गई थी और उसके पेट में गुड़गुड़ाहट शुरू हो गई थी।

ओमा ने और कुछ नहीं कहा। वह कमरे से बाहर चली गई। न चाहते हए भी अंका न जाने क्यों उसके पीछे चली गई।

किचन में ओमा मीठी महक वाला ताज़ा मालपुआ काट रही थी। फिर उसने तीन टुकड़े तीन छोटे-छोटे प्लेटों में रखे।

“ ये किसके लिए हैं?” अंका ने हैरत से पूछा।

“नीज़ा और कारमेन भी तो आ रही हैं न? जाओ उन्हें बुलाओ। पिछली बार नीज़ा की नानी ने कुकीज़ बनाई थीं। तुमने मुझे बताया था कि वे बहुत लज़ीज़ थीं—-याद है?”

अंका को नीज़ा का किचन याद आया: कुकीज़ से भरी मेज़, प्लेटें, जूस, और तीन लड़कियों के साथ उसकी नानी—वे कुकीज़ खा रही हैं, हंस रही हैं, और वे दुनिया की सबसे अच्छी दोस्तें हैं। उसकी घनी नफ़रत ने इस तस्वीर को दबाना चाहा लेकिन नाकाम रही, फिर यह सोच हल्की होकर आख़िर में पूरी तरह ग़ायब हो गई।

अंका दौड़कर खिड़की के पास गई और उसे पूरा खोल दिया। लड़कियों ने अपना नाम सुना तो चौंककर ऊपर देखा, और फिर चमकीली मुस्कानों से उनकी बाछें खिल गईं।

“ओमा ने मालपुआ बनाया है? ज़रूर अंका, हम अभी पहुँचे!”

अंका ने नीचे का दरवाज़ा खोलने वाला बटन दबाया। फिर उसने सोचा,  हम तीसरी मंज़िल पर हैं, और कुछ ज़्यादा ही सीढ़ियाँ हैं, और कोई लिफ़्ट  भी नहीं।

“अंका, तुम नीचे क्यों नहीं आईं?” उन्होंने कमरे में दाख़िल होकर हाँफते हुए पूछा। “ तुम आतीं तो रस्सी कूदने में बहुत मज़ा आता।  तुम तो सबसे ऊँचा कूदती हो!”

तीनों लड़कियाँ मालपुए खा रही थीं, खिलखिला रही थीं, जूस पी रही थीं, और हंस-हंसकर दोहरी हुई जा रही थीं। ओमा धीरे से बाहर निकली और अलगनी पर बाक़ी कपड़े डालने चली गई।

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लिली पोटपरा

लिली पोटपरा स्लोवेनियन साहित्य की एक प्रसिद्ध व पुरस्कृत लेखिका व अनुवादिका हैं। उनका जन्म 1965 में मारीबोर, स्लोवेनिया में हुआ। उन्होंने लुबलाना विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी और फ़्रांसीसी भाषाओं में 1992 में स्नातक किया। वे स्लॉवेनियन भाषा से अंग्रेज़ी में और अंग्रेज़ी, सर्बियन, और तुर्की भाषाओं से स्लोवेनियन भाषा में फ़िक्शन और नॉन-फ़िक्शन दोनों प्रकार की रचनाओं का अनुवाद करती हैं। उनके कहानी संग्रह (Bottoms up stories) को 2002 में “प्रोफ़ेशनल एसोसिएशन ऑफ़ पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स ऑफ़ स्लोवेनिया” की तरफ़ से “प्राइज़ फ़ॉर बेस्ट लिटरेरी डेब्यू” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। क्रिस्टीना रेयरडन द्वारा किये गए उनकी कहानियों के अंग्रेज़ी अनुवाद “वर्ल्ड लिटरेचर टुडे” और “फ़िक्शन साउथईस्ट” , “दि मोंट्रियल रिव्यु” में प्रकाशित हो चुके हैं।

वर्तमान में लिली पोटपारा स्लोवेनिया के विदेश मंत्रालय में अनुवादिका के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही स्लॉवेनियन भाषा में अनुवाद और साहित्य रचना का काम भी जारी है।

डॉक्टर आफ़ताब अहमद

जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी, दिल्ली से उर्दू साहित्य में एम. ए. एम.फ़िल और पी.एच.डी.डॉक्टर आफ़ताब अहमद  कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क के हिंदी-उर्दू के वरिष्ठ प्राध्यापक  हैं। उन्होंने  सआदत हसन मंटो की चौदह कहानियों का “बॉम्बे स्टोरीज़” नाम से, मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी के उपन्यास “आब-ए-गुम का अंग्रेज़ी अनुवाद ‘मिराजेज़ ऑफ़ दि माइंड’ और पतरस बुख़ारी के उर्दू हास्य-निबंधों और कहानीकार सैयद मुहम्मद अशरफ़ की उर्दू कहानियों के अंग्रेज़ी अनुवाद मैट रीक के साथ मिलकर किया है। उनकी अनूदित रचनाएं  “अट्टाहास”, “अक्षर पर्व”, “आधारशिला”, “कथाक्रम”, “गगनांचल”, “गर्भनाल”,“देशबंधु अवकाश”,“नया ज्ञानोदय”, “पाखी”, “बनास जन”, “मधुमती”, “रचनाकार”, “व्यंग्य यात्रा” , “ समयांतर ”,  “सेतु” और “हंस” पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं हैं। सम्पर्क:  309 Knox Hall, Mail to 401 Knox Hall, 606 West 122nd St. New York, NY 10027, ईमेल:   aftablko@gmail.com  

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