आज़मगढ़
मोदी सरकार की कारपोरेट परस्त मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों(एटक, सीटू, एक्टू आदि) के देशव्यापी आंदोलन के समर्थन में वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्ट्री आज़मगढ़ के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम मांगपत्र दिया। कार्यक्रम में सीपीआई, सीपीएम, भाकपा(माले)और जनवादी लोक मंच सहित तमाम संगठनों के कार्यकर्ता शामिल रहे।
इस दौरान वामपंथी नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के अवसर के बतौर लिया है और श्रमिकों व नागरिकों के मूलभूत अधिकारों पर हमला बोल दिया है। जिस दौर में गरीब व मजदूर इतिहास के सबसे बड़े विस्थापन का दंश झेल रहे थे, उनकी मदद की बजाय श्रम कानूनों को निलंबित कर और काम के घंटे बढ़ाकर उनका खून चूसने का षड्यंत्र मोदी सरकार ने रचा। ज्ञापन के जरिए श्रम कानूनों को निलंबित करने व काम के घंटे बढ़ाने का फैसला रद्द करने, डीजल पेट्रोल की कीमतों की बढ़ोतरी वापस लेने, रेलवे, रक्षा, बिजली समेत सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने, 10 हजार रुपये प्रतिमाह लॉकडाउन भत्ता देने, गरीबों व मजदूरों के लिए रोजगार एवं मुफ्त राशन की व्यवस्था और नागरिकों के संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करने समेत कई अन्य मांगें की गयीं।
प्रदर्शन में रामअवध यादव, इम्तियाज़ बेग, वेदप्रकाश, रवीन्द्र नाथ राय, ओमप्रकाश सिंह, एडवोकेट अनिल राय, सच्चिदानंद राय, जितेन्द्र हरी पान्डेय, खरपत्तू राम, विनोद सिंह, अनिल चतुर्वेदी, रामजनम यादव, अफजल हुसैन, रामदरश सिंह, रामशहल चौबे, रामहरी सहित तमाम लोग शामिल रहे।