पटना, 2 जून. बाथे-बथानी-मियांपुर-नगरी आदि जनसंहारों की ही तर्ज पर पटना जिले के बहुचर्चित हैबसपुर जनसंहार के सभी 28 आरोपियों को एससी-एसटी कोर्ट द्वारा बरी करने और वैशाली जिले के राघोपुर दियारा में पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में दबंगों द्वारा दलितों पर बर्बर हमले-आगजनी व लूटपाट की घटना के खिलाफ भाकपा-माले ने एक जून को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.
राजधानी पटना में कारगिल चौक पर प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया और कई जगह पर नीतीश कुमार का पुतला दहन भी किया गया. पटना के अलावा जहानाबाद, अरवल, आरा, गया, पटना जिले के नौबतपुर, मसौढ़ी, विक्रम, पालीगंज, फतुहा तथा सिवान, गोपालगंज, दरभंगा आदि स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए.
राजधानी पटना में प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व पार्टी की बिहार राज्य कमिटी के सदस्य नवीन कुमार, अनिता सिन्हा, वरिष्ठ पार्टी नेता शंभू नाथ मेहता, रामकल्याण सिंह, जितेन्द्र कुमार, अनुराधा देवी, विभा गुप्ता, पन्नालाल, सुधीर कुमार आदि नेताओं ने किया.
वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि जिस प्रकार पहले के जनसंहारों में कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य का अभाव बताकर रणवीर सरगनाओं को बरी करने का काम किया था, हैबसपुर मामले में भी ठीक वही तर्क लाया गया है. बिहार में जब से भाजपा आई है, दलित अत्याचार की घटनायें बढ़ती ही जा रही हैं और आज सामंती-अपराधियों का मनोबल सातवें आसमान पर है. कोबरा स्टिंग के सामने रणवीर सरगनाओं ने खुलेआम स्वीकार किया कि उन्हें भाजपा नेताओं से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता था, लेकिन उस भाजपा से नीतीश कुमार ने बेशर्मी के साथ गलबहियां कर रखी है. इस तरह हैबसपुर कांड में आया फैसला एक राजनीतिक फैसला है, जिसमें दलित-गरीबों की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है.
माले नेताओं ने कहा कि एक तरफ हैबसपुर जनसंहार के आरोपी बरी हो रहे हैं, राघोपुर दियारा में पुलिस-प्रशासन की उपस्थिति में दलितों पर बर्बर हमले किए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर दर्जनों दलित जनसंहार के आरोपी बरमेश्वर की मूर्ति अनावरण में भाजपा-जदयू के नेता शामिल हो रहे हैं. यह बेहद शर्मनाक है. इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा पूरे बिहार में सामंती-सांप्रदायिक ताकतों का वर्चस्व बनाने के लिए हर हथकंडे अपना रही है. भाकपा-माले बिहार में भाजपा की दाल गलने नहीं देगी और दलित उत्पीड़न के खिलाफ न्याय के सवाल पर अनवरत संघर्ष रहेगी.