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‘ सामासिक संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास कर रही सत्ता ’

इलाहाबाद। प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ और जन संस्कृति मंच द्वारा संयुक्त रूप से आज जाने माने लेखक एवं प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष रहे अली जावेद की स्मृति में अंजुमन रूह ए अदब के सप्रू हाल के सामने  ‘संस्कृति की राजनीति और चुनौतियां’ सेमिनार आयोजित किया गया।

सेमिनार में विषय प्रवर्तन करते हुए जसम के पूर्व महासचिव प्रणय कृष्ण ने अली जावेद के संस्कृतिकर्म को याद करते हुए कहा कि वर्तमान समय की राजनीति ऐसी हो गयी है जो सिर्फ सत्ता पर ही कब्जा नही कर रही बल्कि लोगो के दिमाग पर भी कब्जा कर रही है। ऐसे में तोड़ने वाली राजनीति के बरक्स संस्कृति की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, जिसका काम जोड़ने का है।

कार्यक्रम के अगले वक्ता के रूप में लखनऊ विश्विद्यालय के प्रोफेसर रमेश दीक्षित जी ने अली जावेद के विद्रोही प्रवृत्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि विचार तभी महत्वपूर्ण है जब वह कर्म से जुड़ा हो, जो अली जावेद में दिखता था। अपनी बात आगे बढाते हुए उन्होंने वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य की आलोचना करते हुए कहा कि आज के समय में हिन्दू धर्म का अर्थ मुसलमान विरोध हो गया है, ऐसे में संस्कृति की ये जिम्मेदारी है कि वह हमारे मूल्यों और समाज की रक्षा करे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से आये प्रोफेसर अपूर्वानंद ने संस्कृति, समाज और राजनीति पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने अपनी बात शुरू करते हुए अली जावेद द्वारा साझा की गई अपने स्कूली दिनों में मौलवी जी द्वारा राम चरित मानस के पाठ की घटना को याद करते हुए देश की सामासिक संस्कृति की ओर इशारा किया जिसे सत्ताएं अब नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं। इसके साथ ही प्रत्येक मंच पर स्त्रियों, दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज की भागीदारी का प्रश्न उठाते हुए संस्कृति को बहुवचन के रूप में इस्तेमाल किये जाने की वकालत की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राजेन्द्र कुमार ने की। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए उन्होंने कहा कि अली जावेद को याद करने का इससे मौजूं विषय नही हो सकता। उन्होंने धर्म और संस्कृति के अंतर के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि हम चाहे जिस धर्म मे पैदा हुए हो, अगर वह कहता है कि यही सही है तो वहां एतराज करना और प्रश्न खड़े करना आवश्यक है।

कार्यक्रम के अंत मे आभार ज्ञापन शहर के वरिष्ठ कवि और जलेस के अध्यक्ष हरिश्चंद्र पांडेय ने किया।

 

कार्यक्रम का संचालन समकालीन जनमत के संपादक के.के. पांडेय ने किया। आए हुए अतिथियों का स्वागत प्रलेस की सचिव संध्या नवोदिता ने किया.

कार्यक्रम के दौरान सैकड़ों की संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र छत्राएं , अध्यापक, साहित्यकर्मी, राजनीतिक कार्यकर्ता,अधिवक्ता समेत शहर के बुद्धिजीवी शामिल रहे।

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