Thursday, March 30, 2023
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नेहा सिंह राठौड़ को नोटिस अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला -जन संस्कृति मंच

लोकप्रिय गायिका नेहा सिंह राठौड़ को उनके नये गीत पर नोटिस देकर कार्रवाई की चेतावनी दिये जाने की जन संस्कृति मंच ने निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया है।

जसम ने नेहा सिंह राठौड़ के साथ एकजुटता जताते हुए यूपी सरकार से नोटिस को तत्काल वापस लेने और इस शर्मनाक कृत्य के लिए माफी मांगने की मांग की है।

नेहा सिंह अपने गीतों के जरिए बेरोजगारी, उत्पीड़न सहित जनता के सवाल लगातार प्रमुखता से उठाती रही हैं। उन्होंने कानुपर देहात में गरीब परिवार के घर को बुलडोजर से गिरा देने और इस कार्रवाई के दौरान माँ-बेटी की जलने से हुई मौत की घटना पर ‘ यूपी में का बा ’ गीत का दूसरा संस्करण जारी किया था। इस गीत में उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया था। इस गीत पर कानपुर देहात पुलिस द्वारा उन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस दिया गया है। नोटिस में नेहा सिंह राठौड़ को इस गीत के जरिए समाज में वैमनस्य और तनाव की स्थिति उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

जन संस्कृति मंच ने यूपी सरकार की इस कार्रवाई को बोलने की आजादी पर हमला बताते हुए कहा है कि यूपी सरकार  कानुपर देहात की घटना पर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने और अतिक्रमण के नाम पर गरीबों और सांप्रदायिक राजनीति के तहत मुसलमानों के घरों को अवैधानिक तरीके से गिराने की घटना पर रोक लगाने के बजाय इस पर सवाल उठाने वालों का मुंह बंद कराने का प्रयास कर रही है। योगी सरकार जबसे सत्ता में आयी है तभी से पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के दमन कर रही है। पत्रकार सिदृदीक कप्पन को झूठे मामले में फंसा कर दो वर्ष से अधिक समय तक जेल में रखा गया ओर जमानत मिलने के बावजूद उनकी रिहाई में बाधा खड़ी की गई। बोर्ड परीक्षा में पेपर लीक की खबर प्रकाशित करने पर बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन, सुप्रिया शर्मा पर केस दर्ज किया गया। मिड डे मील में बच्चों को रोटी-नमक दिए जाने की खबर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल पर एफआईआर दर्ज की गई। ऐसे अनगिनत घटनाएं हैं। गायिका नेहा सिंह राठौड़ को नोटिस जारी करना योगी सरकार की दमनकारी परियोजना का ही हिस्सा है।

जन संस्कृति मंच नेहा सिंह राठौड़ के साथ एकजुटता जाहिर करता है और लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व संगठनों से इसके खिलाफ प्रतिरोध दर्ज करने की अपील करता है।

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